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________________ HaniprasanatsAmiresemusiva FRepropropagawaso FARARIANDARADARSARAMBIRGUTARIVARPORARY ज्योतिपके छंद. अथ ज्योतिपके छन्द लिख्यते । छप्पय । दिन करके दिन वीस, चंद्र पंचास प्रमानहु । मंगल विंशति आठ, वुद्ध छप्पन शुभ ठानहु ॥ शनिके गण छत्तीस, देव गुरु दिनहि अठावन । राहु वियालिस लहिय, शुक्र सत्तर मन भावन ॥ इम गनहु दशा निजराशितै, सूरज जित संक्रमहिं तित । शुभफलहिं विचारहु भविक जन, परम धरम अवधार चित ॥१॥ मेप वृछिक पति भौम, वृषभ तुलनाथ शुक्र सुर। मीनराशि धनराशि ईश, तस कहत देव गुरु ॥ कन्या मिथुन बुधेश, कर्क स्वामी श्री चंद गणि ॥ 'मकर कुंभ नृप शनी, सिंह राशिहि प्रभु रवि भणि॥ ये राशी द्वादश जगतमें, ज्योतिष ग्रंथ वखानिये। तस नाथ सात लख भविकजन, परम तत्त्व उर आनिये ॥२॥ मेप सूर वृप चंद्र, मकर मंगल गण लिज्जै। कन्या बुध अति शुद्ध, कर्क सुरगुरुहि भणिजै ॥ मीन शुक्र सुख करन, तुलहि दुख हरन शनीश्वर ॥ मिथुन राहु जय करय, भरय भंडार धनीश्वर ॥ है इह विधि अनेक गुण उच्च महि, रिद्ध सिद्धि संपति भरय॥ तस नाथ सात लखि भविक जन, पर्म धर्म जिय जय करय।। ३॥ दोहा. तुल सूरज वृश्चिक शशी, कर्क भौम बुध मीन ॥ मकर वृहस्पति कन्य भृगु, मेप शनिश्चर दीन ॥४॥ KHARGAnwarwanawanpranconscoopenworopaper p anasanvwatvNEVAANVenyiranaaantvest omaosapnacreocc/norancoranepanoranom200000000000
SR No.010848
Book TitleBramhavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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