SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Kamupanensiderivenivaniww Joe andre deres egenwo MaraPRGEORGAnnanWADAARAppronwanews कर्ताकपचीसी. २५७ दुई दोपते रहित. है, ईश्वर ताको नाम ॥ मनवचशीस नवाइक, करूं ताहि परणाम ॥३॥ कर्मनको करता वहै, जा ज्ञान न होय ॥ ईश्वर ज्ञानसमूह है, किम कर्ता है सोय ॥४॥ ज्ञानवंत ज्ञानहिं कर, अज्ञानी अज्ञान ॥ जो ज्ञाता का कह, लगै दोष असमान ॥ ५ ॥ ज्ञानीप जड़ता कहा, कर्ता ताको होय ॥ पंडित हिये विचारक, उत्तर दीजे सोय ॥ ६ ॥ अज्ञानी जड़तामयी, करै अज्ञान निशंक ॥ कर्ता भुगता जीव यह, यो भाखै भगवंत ॥७॥ ईश्वरकी जिय जात है, ज्ञानी तथा अज्ञान ।। जो इह न कर्ता कहो, तो है वात प्रमान ॥ ८॥ अज्ञानी का कहै, तो सब वनै बनाव ।। ज्ञानी है जड़ता कर, यह तो वनै न न्याव ॥९॥ ज्ञानी करता ज्ञानको, करै न कहुं अज्ञान ॥ अज्ञानी जड़ता करे, यह तो बात प्रमान ॥१०॥ जो कर्त्ता जगदीश है, पुण्य पाप किहँ होय ।। सुख दुख काको दीजिये, न्याय करहु बुध लोय ॥ ११ ॥ नरकनमें जिय डारिये, पकर पकरके बाँह ॥ जो ईश्वर करता कहो, तिनको कहा गुनाह ॥ १२ ॥ ईश्वरकी आज्ञा विना, करत न कोऊ काम ॥. हिंसादिक . उपदेशको, कर्त्ता कहिये राम ॥१३॥ ... कर्ता अपने कर्मको, अज्ञानी निर्धार ॥ : र दोप देत जगदीशको, यह मिथ्या आचार ॥ १४ ॥ FacnepontananewanapanesORDPawonasirsanasonalisa w envenwirittentwarendram o rdenancescansowerowe anand Rowen. १७
SR No.010848
Book TitleBramhavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy