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________________ womamawwww mamom maaaaaman rammadrrammemadurName deres over wonnessoreroo RRRRRRRRRRANSaraswowwwNOVEMBER છે ૨૨ ब्रह्मविलासमें. राग काफी धमालमें० कानन सुन ध्यानन ध्याइये हो, चिन्मूरत चेतन पाइये हो, कानन टेक । ___ कानन सरभर को करे हो, कान बड़े सिरदार ॥ छहों द्रव्यके गुण सुणै हो, जाने सकल विचार, कानन०॥३६॥ संघ चतुर्विध सब तरे हो, कानन सुनि जिन वैन । निज आतम सुख भोगवै हो, पावत शिवपद ऐन, काननः ॥३७॥ द्वादशांग वानी सुनै हो, काननके परसाद ॥ . गणधर तो गुरुवा कह्या हो, द्रव्य सूत्र सव याद, कानन०॥ ३८॥ ___ कानन सुनि भरतेश्वरे हो, प्रभुको उपज्यो ज्ञान ।। कियो महोच्छव हरखसें हो, पायो है पद निर्वान, कानन०॥३९॥ विकट वैन धन्ना सुने हो, निकस्यो तज आवास ॥ है दीक्षा गह किरिया करी हो, पायो शिवगति वास, कानन०॥४०, साधु अनाथीसों सुन्यो हो, श्रेणिक जीव विचार ॥ क्षायक सम्यक तवलह्यो हो, पावैगो भवदधि पार, कामन०॥४१॥ नेमनाथवानी सुनी हो, लीनो संयम भार ॥ ते द्वारिकके दाहसों हो, उवरे हैं जीव अपार, कानन० ॥४२॥ __पार्श्वनाथके बैन सुने हो, महामन्त्र नवकार । धरणेधर पदमावती हो, भये हैं जु तिहि वार, कानन० ॥४३॥ __ कानन सुनि कानन गये हो, भूपति तज वहु राज ॥ काज सवारे आपने हो, केवलि ज्ञान उपाज, कानन०॥४४॥ जिनवानी कानन सुने हो, जीव तरे जग मांहि ॥ नाम कहां लो लीजिये हो, 'या'जे शिवपुर जाहि, कान० ४५ ४ _ . दोहा. 0 आंख कहरे कान तू, इस्यो करै अहंकार ।। मैलनिकर मूंद्यों रहै, लाजै नहीं. लगार ॥ ४६॥ SonPOnPOORDPRESIDWAROOPARDARPAN RavanawanteanizatisrinawresturanviDavanauravdrivartaclea rociere econoterens rntarwasna
SR No.010848
Book TitleBramhavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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