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________________ బ ASSORDERappeopponeOppoRARIOR शतअष्टोत्तरी. Benioransparame enawanamuraruwaomwwwanapaharanweewanawrandprenting देखत देव कुदेव सवै जग, राग विरोध धरै उर दो है। ताहि विचारि विचक्षन रेमन! द्वैपल देखु तो देखत को है॥१३॥ कवित्त सुनो राय चिदानंद कहोजु सुवुद्धि रानी, कहैं कहा बेर बेर नै तोहि लाज है। कैसी लाज कहो कहां हम कछु जानत.न, हमें इ-६ इहां इंद्रनिको विपै सुख राज है ।। अरे मूढ विपै सुख सेयं तू अनन्ती है वेर, अज हूं अघायो नाहि कामी शिरताज है। मानुष जनम पाय आरज सुखेत आय, जो न चेतें हंसराय तेरो ही अकाज है।॥१४॥ सुनो मेरे हंस एक बात हम सांची कहैं, कहो क्यों न नीके। है कोउ मुखर गहतु है । तुम जो कहत देह मेरी अरु नीकै राखों, कहो कसें देह तेरी राखी ये रहतु है ? ॥ जाति नाहिं पांति नाहि रूपरंग भांति नाहिं, ऐसे झूठ मूठ कोउ झूटोहू कहतु है। चेतन प्रवीनताई देखी हम यह तेरी, जानिहो जु तब ही ये दुख है को सहत है ॥ १५ ॥ , सुनो जो सयाने नाहु देखो नेकु टोटा लाहु, कौन विवसाहु, जाहि ऐसे लीजियतु है । दश घोंस विपैसुख ताको कहो केतो। दुख, परिकें नरकमुख कोलों सीजियतु है। केतो काल बीत गयो अजहू न छोर लयो, कहूं तोहि कहा भयो ऐसे रीझयतु । है। आपु ही विचार देखो कहिवेको कौन लेखो, आवत परेखो। तातें कह्यो कीजियतु है ॥ १६ ॥ मानत न मेरो कह्यो मान बहुतेरो कह्यो, मानत न तेरो गयो । कहो कहा कहिये । कौन रीझि रीझि रह्यो कौन बूझ बूझ रह्यो, ऐसी बातें तुमे यासों कहा कही चहिये ? । एरी मेरी रानी तोसों। कौन है सयानी सखी, एतौ वापुरी विरानी तू न रोस गहिये। (१) दिन. (२) विचारी. PARRORGANPRORappepPROMORPROPORTS ranamaamapanarannaparenarendrapraanaadhaarana
SR No.010848
Book TitleBramhavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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