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________________ आटो [१५५] 'काम करी करीने आटो नीकळी गयो' अर्थात् 'काम कर करके अधिक त्रास हुआ' प्रस्तुत उपयोग लाक्षणिक है। मूल 'अट्ट' शब्द शुद्ध संस्कृत है कि देश्य है ? यह प्रश्न अवश्य विचारणीय है। - ४७ वटमें-मार्गमें सं० वर्म-प्रा० वट्ट । 'वट्ट उपर से 'वाट', 'वट' । गूजराती 'वटेमार्गु'-(प्रवासी) के 'वटे' के मूलमें भी प्रस्तुत 'बट्ट' है परंतु वहां का 'वटे' सप्तमी विभक्ति युक्त मालूम होता है। भजन ८ वां ४८ विनजारा-वणजारा-घूम फिर कर व्यापार करनेवाला। सं० वाणिज्यकार-प्रा० वाणिज्जकार-वाणिज्जआरवाणिजार-'वणजार' वा 'विनजार' । 'वाणिज्य' शब्द के मूल में व्यवहार अर्थ का द्योतक 'पण' धातु है। व्यापार करने वाली प्राचीन जाति का द्योतक 'पणि' शब्द का संबंध भी 'पण' धातु से है। ४९. लह्यो-लिया-प्राप्त किया। सं० 'लम' से प्रा० लभिम । 'लभिय' से लहिअ और 'लहिअ' का लह्यो। ५०. टांडो-समूह-जत्था । 'टांडो' शब्द की व्युत्पत्ति विचारणीय है।
SR No.010847
Book TitleBhajansangraha Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGoleccha Prakashan Mandir
Publication Year
Total Pages259
LanguageHindi Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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