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________________ आचार्य श्री तुलसी __ पूरा किया। इससे समूचे संघको आनन्द हुआ। स्वयं उन्होने अनुभव किया। ____ आचार्यश्री के सामने अपने उत्तराधिकारीकी स्थिति बडी सुखद घटना थी। कई वर्षों तक ऐसी स्थिति रहती तो वह एक स्वर्ण-सुगन्धका संयोग बनता। मनुष्यका स्वभाव कल्पना करने का है। आखिर तो जो होना हो, वही होता है । ___ कल्पनाकी मीठी घड़ियोंको अधिक अवकाश नहीं मिला। छठके शामको हम सबके देखते-देखते परम श्रद्धय गुरुदेव हम सबसे दूर हो गये। अब हमारे पास उनकी दहिक सम्बन्धोकी स्मृतिके सिवाय और कुछ नहीं रहा। संघपति के प्रति अट्ट असीम भक्तिके कारण वह दिन समूचे संघके लिए असह्य था। उस समय आचार्यश्री तुलसीने अन्तर-वेदनाके उपरान्त भी संघको बडी सान्त्वना दी। आपका धैर्य, साहस दूसरोके लिए सिर्फ आश्चर्यमे डालनेवाला ही नहीं, किन्तु उन्हें साहसी बनानेवाला भी था उसी दिन आपने शासनका पूर्ण उत्तरदायित्व संभाला। नवमीके दिन बड़े समारोहके साथ आपका पट्टोत्सव मनाया गया। अब भी प्रतिवप उसी दिन बड़े समारोहके साथ वह मनाया जाता है।
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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