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________________ १७४ आचार्य श्री तुलमी की विशेप संभावना ही नहीं रहती। आप अधिक बार संख्या मे ५-७ चीजोंसे अधिक नहीं खाते-पीते है। उनकी भी मात्रा ___ इतनी परिमित होती है कि दूसरों को आश्चर्य हुए बिना नहीं रहता। व्यवहारमे उपवासकी अपेक्षा ऊनोटरी* करना कठिन है। आपके लिए वह सहज वनगया, इसमे कोई सन्देह नहीं। __ बीकानेर स्टेटमे ओसवाल समाजमे 'देशी-विलायती' का ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण सामाजिक कलह पैदा हुआ, जिससे समाजको ___अकल्पनीय क्षति उठानी पड़ी। और क्या, असंगठन की उससे समाजकी शृङ्खला टूटगई, नींव हिल-सी चिकित्सा- गई। वर्षो बाद वह ठण्ढा पड़गया, फिर भी क्षमायाचनाका उसके बीज निर्मूल नहीं हुए। सामूहिक भोजन महान् प्रयोग आदिके भेद-भाव नहीं मिटे। आखिर उसकी समाधि के दिन आये। ६६ के चूरू-चौमासेमे आपने इस कार्यको हाथमे लिया। लोगोंको समझाया। एकता और संगठनकी आवश्यकता बताई। आपने कहा-और सब जाने दो, विश्वमैत्रीके महान् प्रतिष्ठाता भगवान् महावीरके अनुयायी यों अमैत्री रफ्खे, यह शोभा नहीं देता। भगवान महावीरने हमे अमैत्रीको मिटानेका ऐसा सुन्दर मार्ग दिखाया है, जिसमे किसीको मानसिक असुविधा भी नहीं होती। सूत्रोंकी भाषामें वह है 'क्षमत-क्षमापणा'। सीधे * भूख से कम भोजन
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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