SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 164
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४० आचार्य श्री तुलसी जैसा कि हिन्दीके प्रमुख पत्रकार सत्यदेव विद्यालंकारने लिखा ___"अणुव्रतीसघ एक सस्था, सगठन, आन्दोलन और योजना है, जिसके साथ आजके लोकाचारको देखते हुए 'कान्तिकारी' विशेषण बिना किसी सकोच या सन्देहके लगाया जा सकता है। कमसे कम मेरा आकर्षण नो उसके इस क्रान्तिकारी स्वरूपके ही कारण हुमा है।" यह *संघ एक वर्ष तक छिपा रहा। दिल्ली अधिवेशनके अवसर पर जनताने इसका मूल्य आका। नैतिकताके पोषक वर्गोंने इसे अपना सहयोगी माना । देश व विदेशोमे सब जगह इसका हार्दिक स्वागत हुआ। पण्डित नेहरू, आचार्य विनोबा __ आदि आदि विशिष्ट व्यक्ति इसकी असाम्प्रदायिक नीतिसे बड़े प्रभावित हुए। लोगोंने अनुभव किया कि महात्मा गाधीकी मृत्युके बाद सार्वजनिक क्षेत्रोंमे जो अहिंसाकी गति रुक गई थी, वह पुनर्जीवित हो चुकी है। ____ आजसे ढाई हजार वर्ष पूर्व भगवान् महागरने अणुव्रतोंकी दीक्षा देकर गृहस्थ जीवनको सुसंस्कृत किया था। सामाजिक बुराइयोंको जडमूलसे उखाड़ फेंकनेके लिए क्रान्तिका शंख फूका था। उन्हीं अणुव्रतोंकोंको आधुनिक ढांचे में ढालकर आचार्यश्री ने सामाजिक बुराइयोंके विरुद्ध जो नैतिक संघर्ष छेड़ा है, वह निश्चय ही आपकी मर्यादाके अनुरूप है। भारतके एक किसान और मजदूरसे लेकर राष्ट्रपति तक सभीने इसकी उपयोगिता * विशेप विवरणके लिए देखो-अणुव्रतीसघ पहला वार्षिक अधिवेशन
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy