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________________ १२४ प्राचार्य श्री तुलसी दूसरों पर प्रभाव डालनेके लिए बुद्धि नहीं होनी चाहिए। किन्तु यह सही है कि नुकीली बुद्धि के बिना प्रभाव पड़ता भी नहीं । आप अपने प्रति अटल हैं। आत्म-विश्वास अटल है। फिर भी आप अपनेको युक्तिसे दूर नहीं रखते । युक्तप्रान्तीय कांग्रेसके उपाध्यक्ष, केन्द्रीय विधान-परिपके सदस्य अलमूराय शास्त्रीने आपके सम्पर्ककी चर्चा करते हुए लिखा ___मैने तेरापन्थी सौधुमोके अनेक कलापूर्ण काम देखे। जैन-दर्शन के विषयमें मैने पहलेसे ही कुछ सुन रखा था और अब करीव २० वर्षसे जन-धर्मको गम्भीरतासे पूर्ण प्रभावित हू । कितना वडा पाडित्य हमे यहां देखने को मिली, इसको वर्णन करना असभव सा है।... में एक वैज्ञानिक समाजेको मानने वाला व्यक्ति है, प्रत्येक बोतको वैज्ञानिक ढगसे देखता हू। आचार्यजी की आत्मा कितनी ऊ ची है, वे व्यवहारकी बात करके भी परमार्थकी ओर जाते है। अपने प्रादर्श से नीचे बिल्कुल नहीं उतरते, इसका मैने पूर्ण अनुभव किया। भारत एक धर्मपरायण देश है, इसमें ऐसे उपदेशोकी आवश्यकता है। इन उपदेशोके द्वारा राष्ट्रको आसानीसे ऊ चा उठाया जा सकता है।" प्रो० सुशीलचन्द्र गुहा एम० ए० बी० एल० ने 'मेरी राजगढ़ यात्रा' शीर्षक निबन्धमें लिखा है :___ * "सूक्ष्मतम दार्शनिक प्रश्नोको विभिन्न रूपसे समझाने की एव * His Holiness ... . .. . has wonderful power of analysing the subtlest philosopbioal problems and of
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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