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________________ १२० प्राचार्य श्री तुलमी अलग ही रहते है। बुराईकी ताकतोंसे लोहा लेनेके लिए या आवश्यक है कि भले आदमियोंका भी सुदृड संगठन हो।' राष्ट्रके अन्य अहिंसाप्रेमी व्यक्ति भी इसकी आवश्यकता अनु भव करते है। आचार्यश्रीके साथ वार्तालाप करते हुए राष्ट्रपति डा. राजेन्द्रप्रसाढने कहा-"यह अच्छा हो कि सर्वोदय समा और अणुव्रती संघ मिलजुलकर कार्य कर ।” आपने इनकी इर भावनाका स्वागत करते हुए कहा-"अहिंसक समाजोंके लिए य बहुत आवश्यक है। कारणकि जवतक हम अहिंसाके लिए ए शक्तिशाली जनमत तयार नहीं करलेंगे, तबतक अहिंसाके द्वार हिंसक शक्तियोंको प्रभावित नही करसकेगें।" ___ आपके सम्पर्कमे आनेवाले व्यक्तियोकी संख्या-सूची देकर पुस्तकके पृष्ठ बढ़ाना नहीं चाहता। मैं सिर्फ इतनाही बताऊं कि जो व्यक्ति आपके निकट आये, उनमे निन्यानवे प्रतिशत आपकी कठोर साधना, अगाध पाण्डित्य, सर्वतोमुखी प्रतिभ अहिंसा-प्रसारकी तीव्र भावना और सहृदयतासे अत्यन्त प्रभावि हुए है। __ लन्दनके ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयके संस्कृत-अध्यापक डा एफ० डवल्यू-टमास एम० ए० पी० एच०डो, सो०आई० ई० जैन धर्मकी जानकारीके लिए आचार्यश्रीकी सेवामे आये। कई दिन रहे। जाते समय उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा : * "बीदासरमें तेरापन्थी समाजसे मिलकर, आचार्य महाराज * It has been a great gatisfaction to me to be ab
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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