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________________ आचार्य श्री तुलसी जैन - विद्वानोंने सदा से ही लोक भाषामे कहा या लिखा है । माध्यम से ही अपना सन्देश ११० भगवान् महावीरने लोक भाषा के जनताके कानों तक पहुंचाया था । उसकी चर्चामे एक आचार्यने लिखा है -: The "वाल्स्त्री मन्दमूर्खाणा, नृणा चारित्रकाक्षिणाम । अनुग्रहार्यं तत्त्वज्ञ, सिद्धान्त प्राकृत कृत " आपके नेतृत्वमे हिन्दी भाषामे जैन - साहित्य - निर्माणका महान् कार्य प्रस्तुत है । हमे आशा है, थोड़े वर्षोमे जैन - साहित्य हिन्दी संसारमे प्रतिष्ठापूर्ण स्थान पा लेगा । प्राच्य - साहित्य-निर्माण । कार्य जैन साधुओं का इतिहास बडा उज्ज्वल है। आपके नेतृत्व में वह परम्परा स्मृतिकी वस्तु नही बनेगी |
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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