SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 988
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट १ . अवतरणोंकी वर्णानुक्रम-सूची स्थल . . ३५-३० ___. ३१६-४ ___५०७-९ अवतरण पृष्ठ-पंक्ति अखे (खै) पुरुष (ख) अक वरख हे (है) [एक सवैया ४७१-११ अजैर्यष्टव्यम् [उत्तरपुराण प० ६७, ३२९] '७६-११ अधुवे असासयंमि संसारंमि दुक्खपउराए । किं नाम हुज्ज़ कम्म जेणाहं दुग्गईं न गच्छिज्जा ॥ (उत्तराध्ययन ८-१) अनुक्रमे संयम स्पर्शतोजी, पाम्यो क्षायिकभाव रे । संयम श्रेणी फूलडेजी, पूM पद निष्पाव रे ॥ ३१५-७,१४; ३१६-२ शुद्ध निरंजन अलख अगोचर, एहि ज साध्य सुहायो रे । ज्ञानक्रिया अवलंबी फरस्यो, अनुभव सिद्धि उपायो रे ॥ राय सिद्धारथ वंश विभूषण, त्रिशला राणी जायो रे । अंज अजरामर सहजानंदी, ध्यानभुवनमां घ्यायो रे ॥ [संयमश्रेणी स्तवन १-२ पंडित उत्तमविजयजी, प्रकरणरत्नाकर भाग २ पृ० ६९९] ३१६-४ अन्य पुरुषकी दृष्टिमें, जग व्यवहार लखाय । वृन्दावन जब जग नहीं, कौन (को) व्यवहार बताय ॥ [विहारवृन्दावन] ५०७-९ अलखनाम धुनि लगी गगनमें, मगन भया मन मेराजी। आसन मारी सुरत दृढ धारी, दिया अगम घर डेराजी, दरश्या अलख देदाराजी ।। [छोटम, अध्यात्म भजनमाला पद १३३ पृ० ४९, प्र० कहानजी धर्मसिंह मुंबई १८९७] २६०-३१ अल्पाहार निद्रा वश करे, हेत स्नेह जगथी परिहरे । लोकलाज नवि धरे लगार, एक चित्त प्रभुथी प्रीत धार ॥ [स्वरोदयज्ञान-चिदानंदजी] १६३-२७ [सव्वत्युवहिणा बुद्धा, संरक्खणपरिग्गहे ।] अवि अप्पणो वि देहमि, नायरंति ममाइयं ॥ [दशवकालिक अ. ६-२२] ८२०-३६ अहर्निश अधिको प्रेम लगावे, जोगानल घटमांहि जगावे । अल्पाहार आसन दृढ घरे, नयन थकी निद्रा परिहरे ॥ [स्वरोदयज्ञान-चिदानंदजी] १६४-१३ अहो जिणेहिं असावज्जा, वित्ती साहूण देसिआ । मुक्खसाहणहेउस्स साहुदेहस्स धारणा ।।। [दशवैकालिक सूत्र अध्ययन ५-९२] ६३८-४ अहो निच्चं तवो कम्मं सव्वबुद्धेहिं वण्णि। जाव लज्जासमा वित्ती एगभत्तं च भोयणं ।। [दशवकालिकसूत्र अध्ययन ६-२३] ६३८-९ अज्ञानतिमिरान्धानां ज्ञानांजनशलाकया। चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ [गुरुगीता, ४५] ६३७.३२; ६९१-२५ आणाए धम्मो आणाए तवो। [उपदेशपद-हरिभद्रमूरि] २६३-१०
SR No.010840
Book TitleShrimad Rajchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Jain
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1991
Total Pages1068
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Rajchandra
File Size49 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy