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________________ की रचना करे उसके विषय मे कहना कि क्या । इसीलिए किसी विशेष लेखक या कवि के ग्रन्थों मे तत्कालीन परिस्थितियों एव उल्लेखों का अनुसन्धान उस लेखक के समय निर्धारण करने में विशेष सहायक होता है । संस्कृत के महान साहित्यकार आचार्य अजित सेन का समय निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है तथापि इतिहासकारों तथा अन्य तर्को के माध्यम से इस सन्दर्भ मे विचार किया जा रहा है । आचार्य अजित सेन ने काव्य स्वरूप के निर्धारण में आचार्य वामन द्वारा स्वीकृत रीति तथा आनन्द वर्धन द्वारा निरूपित व्यग्यार्थ का भी उल्लेख किया है । आचार्य वामन जयापीड के सचिव थे । इनका समय 750 ई0 से 850 स्वीकार किया गया है। 2 आचार्य आनन्द वर्धन कशमीर नरेश अवन्तिवर्मा के सम-सामयिक थे 13 अवन्ति वर्मा का समय 855 ई0 से 884 ई0 तक माना जाता है अत का समय नवम् शताब्दी का मध्य अथवा उत्तरार्द्ध स्वीकार किया जाता है 14 आनन्दवर्धन 1 2 3 (क) 4 शब्दार्थालकृतीद्ध नवरसकलित रीतिभावाभिरामम् । व्यग्याद्यर्थं विदोष गुणगणकलित नेतृसवर्णनाढयम् ।। अलकारशास्त्र परम्परा पृ० मुक्ताकण शिवस्वामी कविरानन्दवर्धन । प्रथमरत्नाकरश्चागात् साम्राज्येऽवन्तिवर्मण • ।। अलकारशास्त्र परम्परा पृ० - - 41 65 अ०चि0 1/7 पूर्वाद्ध राजतरगिणी 2/4
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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