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________________ अन्धकार को सुई से भेदन करने योग्य, उसका मुष्टि ग्राह्यत्व, ज्योत्स्ना - चन्द्रकिरणों को अञ्जलि मे पकडने योग्य अथवा घडों में भरने योग्य इत्यादि तथ्यों का वर्णन करना असत् वस्तुओं का वर्णन करना ही कहा जायेगा ।। असद् वर्णन रूप कविसमय का अन्य उदाहरण की शुक्लता, अयश मे कालिमा, करना असत् वर्णन कवि समय है जैसे प्रताप के वर्णन मे उसे रक्त या उष्ण कहना, कीर्ति मे हसादि क्रोध और प्रेम की अवस्था मे रक्तिमा का वर्णन कवि समय के अनुसार प्रताप को रक्त कीर्ति प्रेम को अरूण माना जाता है 12 । को शुक्ल, अपयश को कृष्ण एव क्रोध 2. समुद्र की चार सख्या, पक्षी और देवताओं का चन्द्रिका में कवि समयानुसार रात्रि मे का पान एव चन्द्रमा में राजा के वक्षस्थल पर निवास, 3. 1 2 3 चकवा देवों समुद्र उत्पत्ति का वर्णन असद् वस्तु वर्णन कवि समय है । 4 4 - - - - चकवा चकवी का रात्रि मे वियोग, चकारे निवास का वर्णन, असद् वर्णन के अन्तर्गत है । सवस्तुओं की अनुपलब्धि सम्बन्धी कवि समय का उदाहरण - जैसे चन्दन वृक्ष मे फल और पुष्प के होने पर भी उसका वर्णन नहीं करना, वसन्त ऋतु में मालती कुसुम के होने पर भी उसका वर्णन नहीं करना, चकवी का वियोग, चकोर पक्षी द्वारा ज्योत्स्ना का निवास माना गया है । 3 लक्ष्मी का कमल तथा मन्थन से चन्द्र की - - मन्थन एवं समुद्र तमस सूच्यभेदत्व मुष्टिग्राह्यत्वमुच्यते । अञ्जलिग्राह्यता चन्द्रत्विष कुम्भोपवाह्यता ।। प्रताप रक्ततोष्णत्वे कीर्तौ हसादिशुभ्रता । कृष्णत्वमपकीर्त्यादौ रक्तत्वकोपरागयो ।। चतुष्टत्व समुद्रस्य वियोग कोकयोर्निशि । चकोराणा सुराणा च ज्योत्स्नावासों निगद्यते । रमाया पद्मवासित्व राज्ञो वक्षसि च स्थिति । समुद्रमथन तत्र सुरेन्द्र श्रीसमुद्भव ।। अ०चि० अचि० अचि० अचि० - - 1/71 1/72 1/73 1/74
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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