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________________ विजय यात्रा के वर्णनीय विषय. अजित सेन के अनुसार शत्रु विजय के लिए की जाने वाली यात्रा के लिए घोडों के खुरों से उठी हुई धूलि, रणभेरी, कोलाहल, ध्वज कम्पन या ध्वजाओं का लहराना, पृथ्वी-कम्पन, रथ, हाथी, उष्ट्र आदि के समूह - सघर्ष एव सेना की गमन ति का वर्णन करना अपेक्षित है ।' परवर्ती काल मे आचार्य केशव मिश्र ने प्रयाण के अक्सर पर भेरिध्वनि, भूकम्प, धूलि तथा हाथिओं के चिग्घार, वणिक - मण्डल, भयकर नाद, शर-मण्डप तथा नदियों की आरक्तता के वर्णन की चर्चा की है तथा रथ, चक्र, चामर, केतु, ध्वजा, हाथी, योद्धा आदि के छिन्न होने और देवताओं के द्वारा की गयी पुष्प वृष्टि के वर्णन की चर्चा की है 12 इनके प्रतिपादन मे प्रभाव के साथ - साथ नव्यता भी है । क्योंकि छत्र चामरदि के भग होने की चर्चा अजितसेन ने नहीं की है । मृगया के वर्णनीय विषय - अजित सेन के अनुसार - हरिणों का भय, पलायन तथा बुरी दृष्टि से चितवन आदि का मृगया के वर्णन प्रसग मे वर्णन करना आवश्यक है । आचार्य प्रयाणेऽश्वखुरोद्भूतरजोवाद्यरवध्वजा । भूकम्पो रथहस्त्यादिसघट्ट पृतनागति ।। अ०चि0 - 1/47 प्रयाणे भेरिनिस्वानभूकम्पबलधूलय । करभोक्षध्व जच्छत्रवणिक्शकटवेसरा ।। अलकारशेखर - षष्ठरत्न - द्वितीयमरीचि पृष्ठ स0 - 63, काशी सस्कृत सीरीज 1927 मृगयाया मृगत्राससञ्चारदि - कुदृष्टिभि । कृत ससारभीरुत्वजननाय वदेत् क्वचित् ।। अचि0 - 1/48 3
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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