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________________ पर्वत के वर्णनीय विषय - __ पर्वत के वर्णन प्रसग मे अजित ने बताया कि पर्वत के शिखर उसकी गुफाओं तथा उस पर उत्पन्न होने वाले बहुमूल्य रत्नों का वर्णन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त इन्होंने वनवासी किन्नर, झरना, सानु, गैरिक आदि धातु तथा उच्च शिखर पर निवास करने वाले मुनियों तथा कुसुमों के आधिक्य का वर्णन किया है ।' इनके पूर्ववर्ती आचार्य राजशेखर ने भी पर्वतों पर समस्त प्रकार के रत्नों के उत्पत्ति के वर्णन का उल्लेख किया है । बाँस परवर्ती काल मे आचार्य केशवमिश्र ने मेघ, औषधि, धातु, वश आदि का अधिक प्रतिपादन किया है शेष अजित सेन से प्रभावित है । वन के वर्णनीय विषय - _अजितसेन के अनुसार वन-वर्णन, प्रसग मे सर्प, सिह, व्याघ्र, सूअर, हरिण तथा विविध तरूओं के साथ भालू, उल्लू इत्यादि का और कुञ्ज, वाल्मीकि एव पर्वत इत्यादि का वर्णन करना आवश्यक है । आचार्य केशव मिश्र कृत परिभाषा अजित सेन के समान है । अद्रोशृगगुहारत्नवनकिन्नरनिर्झरा । सानुधातुसुकूटस्थमुनिवंशसुमोच्चया ।। अचि0 - 1/44 यत्र तत्र पर्वतेषु सुवर्णरत्नादिक च । काव्यमीमासा - अध्याय - 14, पृ0 - 198 शैले मेघौषधी धातुवशकिन्नरनिर्झरा । श्रृगपादगुहारत्नवनजीवाद्युपत्यका ।। अ00 - 6/2 पृ0-63 अरण्येऽहि हरिव्याघ्रवराह हरिणादय । द्रुमा भल्लूकधूकाद्या गुल्मवल्मीकपर्वता ।। अचि0 - 1/45 अरण्येहि वराहेभयूथसिहादयो द्रुमा । काकोलूककपोताद्या भिल्लभल्लूदवादय ।। अ00 - 6/2, पृ0 - 62
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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