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________________ का अभिवर्धक होता है ।। ग्राम के वर्ण्य विषय की चर्चा परवर्ती आचार्यो मे केशवमिश्र ने भी की है । जिसे अजित सेन से भिन्न नहीं कहा जा सकता क्योंकि अजित सेन ने जिन विषयों का प्रतिपादन किया है उन्हीं समस्त विषयों का केशवमिश्र ने भी प्रकारान्तर से उल्लेख किया है 12 अजितसेन के पूर्ववर्ती भामह, दण्डी, रुद्रट आदि आचार्यों ने इसका उल्लेख नहीं किया परवर्ती आचार्यों ने भी प्राय इसका उल्लेख नहीं किया है । नगर के वर्णनीय विषय - अजितसेन के अनुसार - चहारदीवारी उसका उपरिभाग, दुर्ग, प्राचीर, अट्टालिका खाई तोरण ध्वजा चूने से पुते बडे- बड़े भवन, राजपथ बावडी, बगीचा जिनालय इत्यादि नगर के वर्ण्य विषय होते है । आचार्य अजितसेन कृत उक्त वर्णन पर न्यूनाधिक रूप से अग्निपुराण का प्रभाव परिलक्षित होता है । इस विषय पर केशव मिश्र ने भी अपना विचार व्यक्त किया है । जो प्राय अजित द्वारा प्रतिपादित नगर वर्ण्य विषय के समान है । लक्ष्य ग्रन्थों मे उक्त विषयों का रोचक वर्णन प्राप्त होता है । ग्रामे धान्यसरोवल्लीतरुगो पुष्टि - चेष्टितम् । ग्राम्यमौग्ध्यघटीयन्त्रे केदार परिशोभनम् ।। अ०चि0 1/38 ग्रामे धान्यलतावृक्षसरसीपशुपुष्टय । क्षेत्रादिह टट्केदारग्रामस्त्रीमुग्धविभ्रमा ।। अलकारशेखर 6/2 पृ०-62 पुरे प्राकारतच्छीर्षवप्राट्टालकखातिका । तोरणध्वजसौधाध्वकन्यारामजिनालया ।। अचि0 1/39 पृ0-9 __ अग्निपुराप अ0 339/24-27 का नलचम्पू - आर्यावर्तवर्णन - निषिधानगरी वर्णन-प्रथम उच्छवास। ख कादम्बरी - उज्जयिनी वर्णन ।
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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