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________________ का प्रयोग किया गया है ।' श्री वाल्मीकीय रामायण के प्रत्येक सर्ग के अन्त मे 'इत्यार्षे आदिकाव्ये' का उल्लेख है2 और महाभारत के विषय मे 'कृतमयेद भगवन् काव्य परम पूजितम्' । महाभारत ।/611 अग्निपुराण मे भी कवि को काव्य जगत् का स्रष्टा कहा गया है । "अपारे काव्य ससार कविरेव प्रजापति । यथास्मै रोचते विश्व तथेद परिवर्तते ।।" अग्नि पु0 329/100 उक्त पद्य मे कवि को काव्य ससार के प्रजापति के रूप में वर्णित किया गया है । इससे विदित होता है कि कवि शब्द प्रतिभा सम्पन्न एक विशेष प्रकार की असाधारप शैली की रचना करने वाले विद्वान के अर्थ मे योगरूढ कर दिया गया है । कालान्तर मे कवि की कृति को काव्य और काव्य निर्माता को कवि के रूप मे प्रसिद्धि प्राप्त हो गयी ।4। काव्य - स्वरूप प्राय सभी आलड कारिक आचार्यों ने काव्य के स्वरूप के सम्बन्ध मे कुछ न कुछ नवीन विचार व्यक्त किये है । सर्वप्रथम आचार्य भरत के अनुसार काव्यों मे उदार एव मधुर शब्दों की योजना का सड केत प्राप्त होता है । जिसकी तेने ब्रह्म हृदा य आदि कवये श्रीमद्भावत् ।/111 बाल्मीकि रामायण गीता प्रेस गोरखपुर स0सा0इ0 - कला०पो0 पृष्ठ 20-211 प्रज्ञा नवनवोन्मेषशालिनी प्रतिभा मता तदनुप्राणनाज्जीवेद् वर्णनानिपुण कवि । तस्य कर्मस्मृत काव्यम् । स0सा0इ0 - पृष्ठ 211
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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