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________________ यह अभिलेख शक सम्वत् 896 ई0 का है । अत अजितसेन का समय ईसवी सन् की दशम शती सिद्ध होता है । इस प्रकार यह अजितसेन भी अलकारचिन्तामणि के रचयिता नहीं हो सकते है । अजितसेन का नामोल्लेख है 1 अत है । इसके अतिरिक्त शक् सम्वत् 1050 मे अकित मल्ल श्रेणप्रशस्ति में भी अजितसेन का समय 12वीं शती सिद्ध होता डॉ0 ज्योति प्रसाद जी ने अजितसेन का परिचय देते हुए लिखा है कि अलकार चिन्तामणि के रचयिता अजितसेन यतीश्वर दक्षिणदेशान्तर्गत तुलुव प्रदेश के निवासी सेनगण पोगरिगच्छ के मुनि सम्भवतया पार्श्वसेन के प्रशिष्य और पद्मसेन के गुरू महासेन के सधर्मा या गुरू थे 12 अजितसेन के नाम से श्रृगारमञ्जरी नामक एक लघुकाय अलकार ग्रन्थ भी प्राप्त है । इस ग्रन्थ मे तीन परिच्छेद है । कुछ भण्डारों की सूचियों मे यह ग्रन्थ 'रायभूप' की कृति के रूप मे उल्लिखित है । किन्तु स्वयं ग्रन्थ की प्रशस्ति से स्पष्ट है कि शृगारमजरी की रचना आचार्य अजितसेन ने शीलविभूषणा रानी विट्ठल I 2 सकल- भुवनपालानम्र - मूर्द्धावबद्धस्फुरित - मुकुट - चूडालीढ - पादारविन्द मदवदलिख- वादीभेन्द्र-कुम्भप्रभेदी गणभृदजितसेनों भाति वादीभसिह ।। जैन शिलालेख संग्रह, प्रथम भाग, अभिलेख स0 40, पद्य 57, पृ०स० 111, उद्घृत चि प्रस्तावना जैनसन्देश शोधाक 22 नवम्बर 20, सन् 1958, पृ0स0 691 -
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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