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________________ दीपक .. - दीपक प्राचीनतम अलकार है 1 आचार्य भरतमुनि के अनुसार जहाँ नानाधिकरणों मे स्थित शब्दों का एक वाक्य मे सयोग होना बताया जाए वहाँ दीपक अलकार होता है । आचार्य भामह ने इसके आदि, मध्य ओर अन्त तीन भेदों का ही उल्लेख किया है 12 आचार्य दण्डी ने दीपक का विस्तार से वर्णन किया है । इनके अनुसार जहाँ एक वाक्य मे स्थित जाति, गुण, क्रिया एव द्रव्यवाची पद सम्पूर्ण वाक्य का उपकार करे वहाँ दीपक अलकार होता है । 3 आचार्य उद्भट ने भामह की भाँति आदि, मध्य तथा अन्त दीपक का उल्लेख किया है इन्होंने उपमेय और उपमान का स्पष्ट उल्लेख भी किया है, इससे विदित होता है कि इन्हे प्रस्तुत और अप्रस्तुत के एक धर्माभिसम्बन्ध दीपक अलकार अभीष्ट है । 4 1 आचार्य मम्मट ने उद्भट कृत परिभाषा के आधार पर दीपक की परिभाषा प्रस्तुत की है । किन्तु उद्भट की अपेक्षा मम्मट कृत परिभाषा अधिक स्पष्ट है। मम्मट के अनुसार जहाँ अनेक प्रकृत पदार्थों और अप्रकृत पदार्थों का एक धर्माभिसम्बन्ध बताया जाए वहाँ दीपक अलकार होता है । अनेक क्रियाओं से एक कारक का सम्बन्ध होने पर कारक दीपक ओर अनेक कारकों से एक क्रिया का सम्बन्ध होने पर क्रिया दीपक अलकार होता है 15 2 3 4 5 - नात्ताधिकरणार्थांना शब्दाना सम्प्रकीर्तितम् । एकवाक्येन सयोगात्तद्दीपकमिहोच्यते ।। काव्या0, 2/25 का0द0, 2/97 काव्या० सा०सं०, 1/14 सकृद्वृत्तिस्तुधर्मस्यप्रकृताप्रकृतात्मनाम् । सेवक्रियासु ववीषु कारकस्येति दीपकम् ।। का०प्र० - ना०शा०, 16/53 10/103 एव वृत्ति
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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