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________________ प्रतिपक्ष, प्रतिद्वन्द्व, प्रत्यनीक, विरोधी, सदृक, सदृश, सम, सवादि सजातीय, अनुवादि, प्रतिबिम्ब, प्रतिच्छन्द, सरूप, सम्मित, सलक्षणभ, सपक्ष, प्ररण्य, प्रतिनिधि, सवर्ण तुलित शब्द और कल्प, देशीय, देश्य, वत् इत्यादि प्रत्ययान्त तथा चन्द्रप्रभादि शब्दों मे समास का उपमा मे प्रयोग करने योग्य शब्द उपमा (सादृश्य) वाचक है । ' उपर्युक्त वाचक पर्दों की संख्या तथा निरूपण क्रम दण्डी के ही समान है । 2 साधारण धर्म का निर्देश - है । 3 0.0 (20 (30 I 2 सादृश्य मूलक काव्यालकारों मे धर्म का निर्देश तीन प्रकार से होता 3 अनुगामी धर्म उपमेय एव उपमान से एक रूप से स्थित साधारण धर्म के अनुगामी धर्म कहते है । यह जिस रूप मे उपमान मे होता है उसी रूप मे उपमेय मे भी देखा जाता है । इस रूप मे उपमेयोपमान मे साधारण धर्म का प्रयोग एक ही बार होता है । उपमा का औचित्यः वस्तुप्रतिवस्तुभाव - जब साधारण धर्म उपमेय एवं उपमान में एक होने पर भी भिन्न भिन्न वाक्यों में विभिन्न शब्दों द्वारा प्रकट हो तो वहाँ वस्तु प्रतिवस्तु भाव धर्म होता है । यह शुद्ध न होकर बिम्बप्रतिबिम्बभाव से मिश्रित होता है । बिम्ब प्रतिबिम्ब भाव - उपमेय एव उपमान वाक्यों में धर्म का भिन्नभिन्न होना, बिम्ब प्रतिबिम्ब भाव है । पर दोनों में धर्म की भिन्नता के होने पर भी पारस्परिक सादृश्य के कारण उनमें अभिन्नता स्थापित हो जाती है । आचार्य अजितसेन ने उपमा के दोषों पर भी विचार व्यक्त किया है। दृष्टव्य अचि० चतुर्थ परिच्छेद पृ० - 140 दृष्टव्य काव्यादर्श परिच्छेद 2/57-60 चि०मी० पृ0-86 (क) पूर्णाया क्वचचिद् साधारणधर्मस्यानुगामितया निर्देश । (ख) एकस्यैव धर्मस्य सम्बन्धिभेदेन द्विरूपादान वस्तुप्रतिवस्तुभाव 1 वही, - 89 (ग) वस्तुतो भिन्नयोर्धर्मयो परस्परसादृश्यादभिन्नतयाध्यवसितयोर्द्विरूपादानं
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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