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________________ भेद - आचार्य अजितसेन ने पूर्णा तथा लुप्ता रूप से उपमा को दो भागों मे विभाजित किया है ।' पूर्णोपमा - इनके अनुसार जहाँ उपमान, उपमेय, विशेष धर्म तथा सादृश्य वाचक पदों का उल्लेख हो वहाँ पूर्णोपमा अलकार होता है ।2 'पूर्णा' को पुन इन्होंने श्रौती और आर्थी रूप से दो भागों में विभाजित किया है । पुन प्रत्येक के वाक्यगत, समासगत तथा तद्धितगत भेदों को भी स्वीकार किया है इसलिए 2x3 = 6 भेद पूर्णोपमा अलकार के हो जाते है । लुप्तोपमाः जहाँ उपमान, उपमेय, साधारण धर्म और सादृश्य वाचक शब्दों में से एक दो या तीनों के लुप्त रहने पर लुप्तोपमालकार होता है ।' इन्होंने लुप्तोपमा के निम्नलिखित भेद किए है5. वाक्यगता अनुक्तधर्मा श्रौती लुप्तोपमा समासगता अनुक्तधर्मा श्रौती लुप्तोपमा वावयगता अनुक्तधर्मा आथी लुप्तोपमा समासगता अनुक्तधर्मा आर्थी लुप्तोपमा तद्धितगता अनुक्तधर्मा आर्थी लुप्तोपमा अनुक्त धर्म और लुप्तोतमा कर्मणमा अनुक्तधर्मा लुप्तोपमा कर्तृणमा अनुक्तधर्मा लुप्तोपमा क्विपा अनुक्तधर्मा लुप्तोपमा - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - अचि0 पृ0 - 124 सा तप्वद् द्विधा, पूर्णोपमा लुप्तोपमा चेति । अचि0 1/28 अचि0 4/30, 31 अचि0 4/29 दृष्टव्य अचि0, चतुर्थपरिच्छेद, पृ0 - 127-13।
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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