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________________ ७० प्रस्तुत प्रश्न प्रेमकी ओर प्रेरित न होगा और इससे विवेक-मय जीवनको हानि न पहुँचेगी, क्या आपका ऐसा विचार है ? उत्तर-सिद्धांत क्या चीज़ है ? क्या वह अपने ही आपमें कुछ है ? प्रेमसे च्युत होना सिद्धांत नहीं है । और प्रेमके भारको उठाने के बजाय मौत उससे बच निकलनेका उपाय है । इसी तरहसे वह भी कोई सिद्धांत नहीं है जिसके पालनमें अपनी तो नहीं, दूसरेकी जानपर आ बीते । कोई लड़के-लड़की हठपूर्वक एक दूसरेसे ही परिणय करना चाहें और नहीं तो जान दे दें, तो मैं नहीं जानता कि वह कोई सिद्धांत होगा जो उन्हें उस परिणयसे रोककर मर जानेको बाध्य करता है । अगर वह कुछ है तो सिद्धात नहीं, हठ है । यद्यपि मेरा अनुमान है कि इस प्रकारकी शादी कुछ दूरतक ही सफल दीखेगी, आगे तो उसमें निष्फलता ही दिखाई देगी, फिर भी, ठोकर खाकर सीखनेका जवान आदमियोंको हक है। उस हकके प्रयोगसे उन्हे ज़बरदस्ती नहीं रोका जा सकता । समझ-बूझकर रोका जा सके, तो दूसरी बात है।
SR No.010836
Book TitlePrastut Prashna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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