SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 247
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विकासकी वास्तविकता २३१ और जीवनको एक प्रायश्चित्त, एक ऋण, एक यज्ञ बनाकर चलावें । यह कहकर कि जीवनमें ही हिंसा आ जाती है, हिंसाका अन्धाधुन्ध समर्थन नहीं किया जा सकता। उसी भाँति 'अहिंसा' शब्दका भी अन-समझे-बूझे प्रयोग कठिनाई और विरोधाभास पैदा करेगा। प्रश्न--क्या यही बात सत्यके बारेमें भी आप कहेंगे? उत्तर-सत्य तो बिल्कुल ही आदर्शका नाम है । व्यवहारगत सत्य अहिंसा है। इसलिये यह कहा जा सकता है कि सत्यमें उस भाँति समझौतेका प्रश्न नहीं उठता। प्रश्न--आपने कहा है कि कभी कभी राज्य-शासन और धर्म शासन एक हो जाते हैं। क्या ऐसा शासन धर्मोकी विविधताके कारण अब खतरनाक न हो जायगा? उत्तर-धर्म-शासनमें 'धर्म' शब्दसे अभिप्राय किसी नाम-वाचक मत-पंथसे नहीं है। अभिप्राय यह है कि उस स्थितिमें शासनका अधिनायक धर्मभावनासे भीगा और ओतप्रोत, नीति-निष्ठ पुरुष होता है । जो शासक है, वह सेवक है। तब शासन अधिकार नहीं होता, वह एक जिम्मेदारी होती है। और शासन-पद जितना ऊँचा हो उसपर आरूढ़ व्यक्ति उतना ही विनम्र, सरल और अपरिग्रही होता है । 'धर्म' शब्दसे अगर दुबिधा पैदा होती हो तो उसे 'नैतिक शासन' कह लीजिए । ' सैनिक'के विरोधमें 'नैतिक'। प्रश्न-क्या आप समझते हैं कि नैतिक शासन तब तक संभव है जब तक कि देशके सब आर्थिक सूत्र शासकके हाथमें न हो? : उत्तर-नैतिक-शासन एकतंत्र (=autocratic) शासन नहीं है। आर्थिक सूत्र एक हाथमें रहनेका अर्थ बहुत कुछ ऐसी एकतंत्रता हो जायगी । इसीलिए तो आरंभमें औद्योगिक विकीरणकी (=Industrial Decentralization की ) बात कही गई है । जहाँ अर्थ प्रधान है, वहाँ नीति गौण होती देखी जाती है । शासन नैतिक हो, इसमें यह आशय आ जाता है कि समाजके भिन्न भिन्न अंगों और प्रसंगोंमें आर्थिक संघर्ष कमसे कम हो। उनके स्वार्थों में जितना अधिक विग्रह और विरोध होगा उतनी ही शासनके पास सैनिक तैयारी उन स्वार्थोके बीच संतुलन (=Balance) कायम रखनेके लिए चाहिए । बस फिर वह शासन सैनिक ही हो गया, नैतिक कहाँ रहा ? इसलिए अगर एक बार
SR No.010836
Book TitlePrastut Prashna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy