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________________ औद्योगिक विकास : मजूर और मालिक १९१ तंत्रसे भी सहायता ली जायगी । किन्तु वह सब किया जाय, उससे पहले कुछ व्यक्तियों को इस संबंध आचरणारूढ़ होकर अपनी सदाशयताको प्रमाणित करना होगा। वे लेखनसे और वाणीसे लोकमतको इस विषयमें चेतायेंगे । लोकमत शनैः शनैः बन चलेगा, तब शासन-तंत्रके उपयोगका समय आयगा । क्यों कि शासन-तत्र स्वयं अंतमें संगठित लोकमतके हाथकी वस्तु है। ___ इस प्रक्रियामें खतरा एक वही है : डिक्टेटरशिप । लेकिन अगर नीतिनिर्माताओंका ध्यान सच्चे तौरपर आर्थिक आत्म-निर्भरताके उद्देशकी ओर है तब डिक्टेटरशिपकी आशंका एकदम दूर हो जाती है। लेकिन अगर ऐसा नहीं है, आर्थिक केन्द्रीकरण होने दिया जा रहा है और बड़े-बड़े कल कारखानेवाले उद्योगोंका मोह है, तो डिक्टेटरशिप आये बिना नहीं रह सकती । नाम चाहे कुछ हो,—फासिज्म हो, कम्यूनिज्म हो, यहाँ तक कि चाहे प्रणाली पार्लेमेण्टेरियन हो, फिर भी वस्तुतः डिक्टेटरशिप ही होगी जो कि आर्थिक केन्द्रीकरणका अंतिम फल होगी । और जहाँ डिक्टेटरशिप है, वहाँ हर घड़ी लड़ाईकी तैयारी है ही। प्रश्न-तब आप यांत्रिक उद्योगोंके विकास और डिक्टेटरशिपमें क्या अभिन्न संबंध मानते हैं ? डिक्टेटरशिपको अगर हम नहीं चाहते तो यान्त्रिक उद्योगोंका, यानी यंत्रोंका, हमें बहिष्कार कर देना चाहिए । इसके सिवा आर्थिक स्वावलम्ब-विस्तार या 'डीसेण्ट्रलाइजेशन' कैसे हो सकता है ? क्यों कि यांत्रिक उद्योगोंका विकास और 'डिसेण्ट्रलाइजेशन' परस्पर विरोधी है। उत्तर-यंत्र और यांत्रिक उद्योग अपने आपमें पाप नहीं हैं । हाथसे काममें आनेवाली चीज़ क्या यंत्र नहीं है ? चर्खा यंत्र क्यों नहीं है ? कुम्हारका चाक भी यंत्र ही है। इस भाँति चर्खे और चाकको उपयोगमें लाना एक प्रकारसे यांत्रिक उद्योग भी ठहरता है। इसलिए यंत्र, और उद्योगमें यंत्रका उपयोग, यह दानों निषिद्ध नहीं हैं। निषिद्ध इसलिए नहीं हैं कि दोनों ही मनुष्यकी मनुष्यताके विकासमें सहायक हुए हैं, और हो सकते हैं। लेकिन यांत्रिक जीवन-नीति जो कि यंत्रके लिए मनुष्यको काममें लाती है, मनुष्यके लिए यंत्रको नहीं, उस नीति और सभ्यताका समर्थन नहीं हो सकेगा। अब प्रश्न है कि क्या कोई ऐसा माप है जो एक यंत्रको विधायक और
SR No.010836
Book TitlePrastut Prashna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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