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________________ सत्यामृत - -- rehLM शप की व्यवस्था ही न मनेगी। था इसलिये नीरहेर निर्दोष था. और निर्दोष का इस बात को ठीक समझने के लिये न्याय- धन हरण करने विकक सदोपहुयाऔर सदोषकी देखना की एक पक कथा का काफी उपयोग चोरी करने से. शपोदय में निमित्तमात्र होने से, - मैं निर्दोष हुआ। गा, इससे धान और साफ होजायगी विधक ने कहा-परम्परा कुछ मी रही हो. न्यारंवना की कथा (कोजीमापे कीहो) पर यह तो निश्चित है कि नीरहेर से लुटगेर को न्यदेवता धार में एक बार विकक (साह. लसा था इसलिये मैं नीरटेर का धन हरण होने पार नाम के सामान शिकायत का एक बुरक में निमित्तमात्र था, इसलिये मैं निर्दोष हूँ। (चोर ) नाम यादमीने मेरी चोरी की है इस " चुरक ने भी कहा परम्परा कुछ भी रही लिये उसे दंड मिलना चाहिये । दर्वार में चुरक हो, पर यह तो निश्चित है कि विकक ने नीरडेर भुलाया गया। का धन हरण किया था.इसलिये चिंकक की चोरी धुक ने कहा- हुजा, मैंने विकक की चोरी होने में मैं तो निमित्तमान था इसलिये मै निर्दोष हूँ। जो जाय की है पर इसमें मेरा अपराध नहीं है। मुझे को विवश होकर चोर का कार्य करना पड़ा। न्यायदेवता ने कुछ और से कहा-जव सिकने पहिले जन्म में नौरहेर (जिसके पास तुम और तुम्हारे पहिले के सब चोर लुटेरे निदोप समोई चीन धरली जाती हो) नामक आदमी है तत्र यह दण्ड परम्परा क्यों चल रही है। हे पामगे धारण किया था, उस पाप का चरक ने कहा-मैं क्या समझू हुजूर । इस जन्ममें विका के प्राया। पाप के उद- विफक ने कहा मैं क्या जान हुजर! अस उसरी चोरी होना ही चाहिये थी, और न्यायदेवता ने कहा- अच्छा ! यह मुक. frमीन किमी को यह सजा देना ही पड़ती हमर पिता (विवेकदेव-इकोजीमा) के दबार समय मग किस की चोरी करके उसे सजा में पेश किया जायगा। दना पती इसलिंग में निष। . अब विवेकवके रिमे यह मुकद्दमा पहुंचा माया ने विकर की साफ देगा। और उनने जब सब मिसल पढी तब वे मुलकराम FANART- नर, मैने पहिने जन्ममें नौरडेर और उनने फैसला लियाmar किया था, पर मैं तो निमित्त इस मुकदमे में बुरक अपराधी और गाय मा. क्यानि उसो भी पहिले जन्ममे नीरटेर ददनीय है। विकक भीरहेर और लुटगेर भी ने नगर (जो लटा जाता हो) मा धन लूटा अपने अपने समय में अपराधी रहे हैं पर प्रकृति भा. स am I बदला मिलना ही में उन्हें अपन तरीके स दण्इ मन्यिा होगा, इसTiriyा समालय में उम पारोदय में लिये चिंक्रक को एड देने का काम शुरक का, SEAR नगया, और नीर का धन नीर को दण्ड देने का काम विंकक झा, और refमाग में निर्माण पर जथ में लुटो कोदएरने का काम नपडे का नहीं MER की चोरी परले सोजाना किसी भी सामनप्रणाली में यह पायहम था। सलिग वा दोषी है। या है कि कोई कानुन अपने हाथ में न ले। किमी तरफ रेया। लुटगेर, नोरडे और विकर के पगेन अपराधी T-FAT अगर नीदेग पापण्यम से दरद देने सम प्रकृति का श न्यायदेवता RTAIAIR नेम निरपर निररी बोरे शाह न कि नौरा किया और पाक का। मोगा नो रिमी साप है। इसलिये इनमें से किसी को भी निरसराध नहीं रिमा क्रिया कहा जासरना । चोगे करते समय चुरानो in पारादर में FIRST व्यायाधीश की गवत्ति रास्ता धा, न उसके
SR No.010834
Book TitleSatyamrut Drhsuti Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatya Samaj Sansthapak
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1951
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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