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________________ सत्य संगीत हैं राम कृष्ण से तूने पुत्र खिलाये । जिन वीर बुद्ध से तेरी गोडी आये । तेरे पुत्रों ने ऐसे कार्य भगवान सत्य के परन दूत कहाता । माता ॥ ४ ॥ बहुत खिलाई । तेरा सुपुत्र करुणा का पुत्र हे भुवन - मोहनी प्यारी भारत सीता सावित्री तृने काली समान भी शक्ति देत्रियाँ पाई | विधिने विभूतियों गिन गिन कर पहुंचाई। सब दिव्य शक्तियाँ मुझे रिझने आईं ॥ तेरी महिमा से कौन नहीं झुक जाता । हे भुत्रन - मोहनी प्यारी भारत माता ॥ ५ ॥ अन्यान्म यहा तेरे आँगन में खेला | नाना वाडों के खिले चमेली वेला || फुलवाडी में लग गया सुमन का मेला | तेरे सुमनों का बना विश्वभर चेला || था कर्नयोग योगेश मुरस बरसाता । हे भुवन - मोहनी प्यारी भारत माता ॥ ६ ॥ करती रहती नाना पट परिवर्तन तु । तुझको न क्रान्तिका डर है निर्भय मन तू । सब बर्न जाति के जनका पैतृक वन तू । है सकल सभ्यताओं का परम मिलन तू ॥ सब ओर समन्वय छाया जीवन दाता | हे भुवन मोहनी प्यारी भारत नाता ॥ ७ ॥ ३२ ] दिखाये | कहलाये ।
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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