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________________ तेरा प्यार मैने चाहा तेरा प्यार छल करनेमे छला गया मै बनकर मूर्ख गमार । मैने । समझा था तुझको छलता हूँ अब समझा मै ही जलता हॅू तुझको धोखा देना ही था धोखा खाना आप 1 जब समझा तू मन मे बैठा देख रहा सब पाप || मेरा चर हुआ अभिमान तेरी देख पड़ी मुसकान तेरे चरणो पर बरसाने लगा अश्रु की धार । मैंने चाहा तेरा प्यार ॥ ३ ॥ मैने चाहा तेरा प्यार तेरा आशीर्वाद मिला तत्र सूझ पडा ससार ॥ जाति पति का मोह छोड कर ऊँच नीच का भेद तोड कर मैन आया तेरे पास, दिखाया तूने अपना ठाठ सर्वधर्म समभाव, अहिंसा का सिखलाया पाठ [ ५ मैने पाया सत्य - नमाज जिसमे था तेरा ही साज हुआ विश्वमय, विश्ववन्धु मै तेरा खिदमतगार मैने चाहा तेरा प्यार । 1
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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