SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ___मॅझदार [ ९१ मझझकार नौका पहुंची है मॅझवार । हूँ खेवटिया, डॉड नहीं है, टूटी है पतवार । नौका पहुँची है मॅझवार ॥१॥ इधर किनारा उधर किनारा, पर दोनों ही दूर । वीच बीचमे चट्टानें हैं, हो नौका चकचूर ॥ कैसे होगा वेडा पार । नौका पहुंची है मॅझधार ॥२॥ मगर मच्छ चहुंओर भरे हैं, यदि हो थोडी भूल । उलट पुलट तब सब हो जावे रहे न चुटकी चूल || उसपर दुनिया कहे गमार । नौका पहुंची है मॅझवार ॥३॥ वैभव की कुछ चाह नहीं है और न यम से भीति । केवल भीख यही है मेरी रहे तुम्हारी प्रीति ॥ दुख में करूँ न हाहाकार । नौका पहुची है मॅझधार ॥॥४॥ डूब न जाये मेरे यात्री करना उनका त्राण । जलदेवी को बलि देगा मैं अपने ही प्राण ॥ मेरे यात्री पहुंचे पार । नौका पहुँची है मॅझधार ॥५॥ - ve
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy