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________________ विवाह के दुष्परिणाम [८५ भर दोनों को अपनी अपनी मर्यादा में रखने के लिये काफी संयम, मनोवल या सहिष्णुता से काम लेना पड़ा है। . इस अनर्थ- के मुख्य कारण थे वाल-विवाह तथा सामाजिक कुरीतियां । अगर बालविवाह न होता. तो मैं भी कुछ समझदार और कमाऊ. होता जिससे इस प्रकार की आर्थिक कठिनाई. न आती और. पत्नी भी कुछ समझदार होती कि वह , गरीबी को अच्छी तरह सह सकती जैसे कि वह पछि सहने लगी थी। अगर वैवाहिक रीति-रिवाज़ अधिक खर्चीले न होते तो विवाह में इतना. खर्च. न. होता कि हमारी आर्थिक अवस्था इतनी ख़राब हो जाती । अधिकांश खर्च पंचों को भोजन कराने में हुआ । एकाध, प्रीतिभोज, होता तो ठीक भी था पर प्रत्येक आदमी दिन. में दो या तीन वार भोजन को आता था । स्त्रियाँ तो दिन भर वहीं रहती जिनके यहां भोजन, होता, इसलिये तीनबार उनका भोजन नियत था और बच्चे तो चार पाँच बार तक खाते थे, इसमें साधारण आदमी उधड़ जाता था। प्रीति भोज का मैं विरोधी नहीं हूं परन्तु वह अनिवार्य के समान न होना चाहिये | तरीका ऐसा होना चाहिये जिससे मनुष्य अपनी इज्जत बचाये रख सके और जाति के रिवाज़ का भी पालन कर जाय । इस विवाह से जो गरीबी आई उसने चार पाँच वर्ष तकजब तक मैं नौकरी नहीं करने लंगा-मुझे खन परेशान किया। एक तो मैं घर में नहीं रहता था, बाहर पढ़ता था, दूसरे घर में गरीबी काफी आगई थी इसलिये साल के दस महीने शान्ता को अपने माता पिता के यहाँ ही बिताने पड़ते थे, इससे शान्ता के स्वाभिमान को काफी धक्का लगता था और पिताजी की..इज्जत भी मेरी
SR No.010832
Book TitleAatmkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatya Samaj Sansthapak
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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