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________________ विविध आन्दोलन [: २१७ · . हां, एक बात अवश्य है कि चर्चा के पीछे जहां कोई विधायक कार्यक्रम हो वहां कुछ समय की चर्चा के बाद और एक निःपक्ष विचारक को विचार की काफी सामग्री देने के बाद विधायक कार्यक्रम को अमल में लाने की कोशिश भी करना चाहिये। क्योंकि बहुतसी बातें ऐसी होती हैं कि जब तक उन्हें कार्यपरिणत न करो तब तक विरोध बना ही रहता है। विजातीयविवाह विधवाविवाह के आन्दोलन इसी ढंग के थे । इसलिये बाद में उन्हें क्रियात्मक रूप देने का प्रयत्न भी हुआ । फिर भी हर हालत में दूसरों को चर्चा का अवसर देना और उनकी बात पर उपेक्षा न करना आवश्यक है । 7 " हां, किसी विपयमें गम्भीर चर्चा होजाने के बाद कुछ विरोधी लोग पिष्टपेषण आदि निरर्थक चर्चा करते रहते हैं उनपर उपेक्षा की जासकती है पर कोई नई युक्ति आवे उसपर उपेक्षा न करना चाहिये । आज देशमें ऐसे भी व्यक्ति हैं जो अपने अनुभव की दुहाई देकर तथा विरोधी के वक्तव्यों पर पूरी उपेक्षा करके अपनी बात दुनिया के सामने रखते हैं उस में वे कुछ न कुछ सफल भी होते हैं फिर भी मेरी नीति वही है जो ऊपर लिख आया हूं • अनुभव की दुहाई या दूसरे मत की उपेक्षा के विषय में मेरे ये विचार रहे हैं । १ - अनुभव की दुहाई यहाँ असरकारक होती है जहाँ मनुष्य अपने अनेक विचारों को कार्यपरिणत कर चुका होता है और उनकी सफलता की छाप दुनिया पर बैठी होती है । .
SR No.010832
Book TitleAatmkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatya Samaj Sansthapak
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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