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________________ विविध आन्दोलन [२०७ ... ६-दुराचार के शिकार होकर या लोगों की विवेकहीन भक्ति के शिकार होकर जिन मुनिवेषियों को मरजाना पड़ा उन्हें न मरना पड़ा होता। ... ..... . . . .७-जैनेतर जगत पर जो बुरी छाप पड़ी वह न पड़ी होती न साम्प्रदायिक द्वेष इतना वढा होता.। . : . .::. .: . ८-बहुतसी नई दलबन्दियाँ खड़ी न हुई होती।.. . .. और भी ऐसी ही कुछ बातें कहीं जा सकती हैं। : ... ... खैर, इसके सिवाय और क्या कहा जाय कि जो होना था सो हुआ। समाज की बहुत सी हानि करके यह मुनिवेषिकांड भी.खत्म हुआ । . . . . . . . . :: .: . : . विधवाविवाह का आन्दोलन .... जैन पंडितों में और उनके संसर्ग से जैन मुनियों में यह वीमारी. आ गई थी कि जब वे विजातीय-विवाह आदि की चर्चा में नहीं जीत पाते थे तब सुधारकों को विधवा-विवाह का पक्षपाती कहने लगते थे। इस विषय में सुधारकों की पाँच श्रेणियां थीं।। १-एक तो वे जो विजातीय-विवाह आदि के समर्थक थे पर विधवाविवाह के विरोधी थे। .... . - २-विधवा-विवाह के समर्थक थे पर समाज में अपना स्थान बनाये रखने के लिये उसका विरोध करते थे। . . . . . ... ३-बातचीत में विधवा-विवाह का समर्थन करते थे पर जनता के सामने किसी बहाने से निकल भागते थे या दवी जवान में विरोध करते थे।
SR No.010832
Book TitleAatmkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatya Samaj Sansthapak
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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