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________________ शाहपुर में _ [१३५ सुधारक होने से शाहपुर ही मेरे लिये ऐसा बदला इतनी ___ ही बात नहीं है, जैन समाज के बीसों नगर हैं जहाँ इस परिवर्तित परिस्थिति का सामना थोड़ी बहुत मात्रामें मुझे करना पड़ा है, आज भी करना पड़ता है या मौका आने पर करना पड़े पर ये और इससे भी बड़ी बड़ी बातें मेरे लिये इतनी साधारण हो गई हैं कि 'उन पर ध्यान देने बैलूं तो जीना दूभर हो जाय । सोचता हूं दुनिया ने लोकोत्तर महापुरुषों को भी इसी तरह और इससे भी बुरी तरह इतना सताया है कि मुझ सरीखे तुच्छ व्याक्त के साथ जो व्यवहार किया है वह उसकी दयालुता ही है अथवा उसमें निर्दयता की अपेक्षा दया का अंश ही अधिक है। . राजनीति-बहादुर भी सामाजिक सुधार में मौके पर खिसकते देखे जाते हैं इसका कारण यह है कि राजनीति की अपेक्षा सामाजिक क्रान्ति में मनोवल की अधिक आवश्यकता होती है । इसके चार कारण हैं.-१ राजनीति में राजदंड का डर है पर जनता की तरफ से पूजा मिलता है समाजक्रान्ति में घर बाहर सब जगह धिक्कार ही धिकार है। --राजनीति बाजार है और समाजनीति घर । राजनीति के नाम पर किये गये रूदिविरुद्ध कार्यों पर लोग कम ध्यान देते हैं पर समाज के नाम पर किये गये रूदिविरुद्ध कार्यों से लोग पीस डालना चाहते हैं । जैसे बाजार में कोई नहीं पूछता कि तुमने. किसे सौदा बेंचा, किस के साथ साझा किया, किसके साथ खाने का नाता जोड़ा पर घर में सब पूछते हैं कि तुमने किसे रोटी खिलाई किसके साथ रिश्ता जोड़ा आदि, इस प्रकार समाजनीति पर जनता की वक्र दृष्टि अधिक रहती है । ३-राजनीति में लौटने
SR No.010832
Book TitleAatmkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatya Samaj Sansthapak
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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