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________________ मोरेना में. [१०३ , रुपया महीना दिया जाता था और भोजनप्रबन्ध आदि विद्यार्थी अपना अपना करलेते थे । जब मैं मोरेना विद्यालय में दाखिल हुआ तब परीक्षा के लिये सिर्फ सवा माउ रहगया था इसलिय विद्यालय के अधिकारियों ने मुझे इस शर्तपर लिया कि अगर गोम्मटसार की परीक्षा पास हो जाओगे तो स्कालशिप मिलेगी अन्यथा नहीं। इसी शर्तपर मैं भरती हो गया। उस समय प्लेग के कारण मोरेना का विद्यालय ललितपुर के क्षेत्रपाल में था । वहीं में सबामाह रहा । खास खास शंकास्थल ही मुझ समझना थे सो समझे, परीक्षा दी, और प्रथम श्रेणी में पहिला नम्बर आया । इनाम भी मिला। . गर्मी की छुट्टियों के बाद जब मोरेना पहुँचा तो वहाँ इन्फ्लुएंजा का प्रकोप था इसलिय मोरेना विद्यालय आगरा आया । पर आगरा में भी प्रतिदिन ५००-६०० आदमी मरते थे इसलिये विद्यालय की छुट्टी कर दी गई, मैं घर आगया । इस समय घर की आर्थिक दशा काफी खराब थी। मेरे ऊपर चारों तरफ से बौछारें पड़ती थीं यधपि सात आठ माह में मेरी पढ़ाई पूरी होने वाली थी पर ये सात आठ महीने निकालना ही कठिन हो रहा था। कुछ लोग ने सलाह दी कि दमोह की पाठशाला में ही नौकरी करलो । विवश होकर में इस के लिये भी तयार हो गया, पर पंचायत इस का निर्णय करे इसके पहिले मोरेना से बीमारी हटने के समाचार आये और मैं वहाँ चला गया । अगर इस समय अधूरी पढ़ाई में दमोह में रहाया होता तो मेरे विकास का मार्ग रुपये में बारह आना स्कगया होता । शक्ति किसी न किसी रूपमें तो प्रगट होती
SR No.010832
Book TitleAatmkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatya Samaj Sansthapak
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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