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________________ (५८) स्त्री'देखीती प्रार्थना नथी करती, पण आंखोना कटाक्ष विगेरे अनेक चाला करे छे ने ते करवाथी पुरुषनुं चित्त विकारवंत न होय तो पण थइ जाय छे. तेम ते मनमां खुशी होय तो पण पुरुष पासे कालावाला करावे छे छतां चित्तमां बहु ज मलीनता रहे छे माटे एनो विकार सर्वज्ञे वधारे कह्यो छे. तेमां पण जे सती स्त्रीओ छे, जेने स्वप्नमां पण पर पुरुषनी इच्छा थती नथी ते स्त्रीओ तो नमस्कार करवा योग्य छे. कारण के जगत् ए विषयमां पडयुं छे ने गुणी पुरुषो पण पडी जाय छे वास्ते उत्तम स्त्री ज श्रावुं दृढ शील पाले अने एवा गुणवंत पुरुष पोतानी स्त्री साथे तथा स्त्री पोताना पति साधे पण नित्य भोगनी क्रीडा कूतरानी माफक करता नथी. फक्त ऋतुने अवसरे ज पोतानी इच्छा टालवा सारु नाखुशीथी काम करे छे. ए कामसेवा करतां विचारे छे के, स्त्रीनी योनिमां घणा जीवनी उत्पत्ति ज्ञानीए कही छे. जेम एक मूंगलीमां रु घाल्युं होय अने तेमां लोढानी शीक उनी करीने घाले तो जेम सर्व रु बली जाय, तेम भोगथी स्त्रीनी योनिमां जे जीव रह्या छे तेनो विनाश थाय छे. तो ए म्होटी हिंसानुं कारण छे. वली 'ए स्थानमां मूत्रादि दुर्गंध छे तेनो एक छांटो लाग्यो होय तो माणस धोइ नांखे छे एवं खराब दुर्गंधी छे ते स्थानके क्रीडा करवी ए अज्ञानतानुं जजोर छे. वली भोगथी शरीरनी स्थिति केटली नरम पडे छे ? ते जाणे छे ते छतां मां सुख मानवु ए पण अज्ञानतानुं ज जोर छे. अहिं कोई क शे के ए सर्व कारणो पोतानी स्त्रीमां ने पारकी स्त्रीमां सरखां छे, तो पोतानी अने पारकीमां पापनो शुं फेरफार छे के परस्त्री त्याग करवा बधा धर्मवाला कहे छे १ ते विषे जाणवुं के पारकी स्त्रीनो धणी छे, तेनी परवा. नगी तेनो धणी आपतो नथी तेम छतां चोरीथी काम करे तो तेनो धणी जाणे अने स्त्री उपर जोर चाले तो स्त्रीनो विनाश करें. पुरुष पकडाय तो पुरुषतो नाश करे. एम करतां ए वे उपर जोर न चाले तो पोताना प्राण' कादे. वेखते नरम स्वभावनो होय तो प्राण न काढे; पण तेनुं मनमां अत्यंत दुःख धारण करे. रात्री दिवस ए ज दुःखमां काल काढे. एवी
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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