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________________ ( : २२३) काउसमा पारी एक थुइए, अथवा, चार थुइए. अथवा आठ थुइए जेवी -शक्ति-वकाश होय ते प्रमाणे चैत्यवंदन करखं. आ सामान्य विधिए प्रभु भक्ति- कही. पछी प्रभु सम्मुख उभा रही आागल कही छे तेवी रीते भावना भाववी. घणा गुणी आचार्य महाराज श्लोकबद्ध काव्यवृद्ध रचना भगवंतना गुण रूप करी गया छे ते वडे स्तुति करवी.. एवी सुंदर भावना भाववाथी नागकेतु विगेरे केवलज्ञान पाम्या छे. तेनी, कथा कल्पसूत्रमां विद्यमान छे. २८ प्रश्नः - पुष्पपूजा करतां पुष्पना जीवने बाधा थाय तेनुं केम ?: उत्तर:- पुष्पना औवने बाधा थती नथी, पण उलटी रक्षा थाय छे. म के पुष्प कोई गृहस्थ लक्ष जाय तो मनुष्यना स्पर्शथी तेना जीवने किलामना थाय. केदलाएक गृहस्थो सय्यामां बिछावी सुत्रे छे तेथी पण किलामना थाय छे, परंतु जे पुष्प प्रभुने चडे छे तेने तो पोताना आयुष्य सुधी अवावा रहे छे. वली तमे कहेशो के पुष्पने सोय भोकी गूंथवाथी किलामना थया वगर रहे नहीं, तो ते विषे जाणवुं जे जे पुष्पनी दांडी पोली होय तेमां दोरो परोववो शास्त्रमां -कलो छे माटे तेवी जीते विधि युक्त काम करवाथी बाधा थशे. नही. पुत्रप शीवीने चडाववानी तथा काची कलीचो चडाववानी रीत प्राचीन जणाती नयी, पण आधुनिक छे. एवी रीत पडवाथी केटलीक वखत गूंथेला. पुष्प मलतां नथी त्यारे विधिपूर्वक पूजा क्रवाना रसिक पुरुषने पण शीवेलां चडावai पडे छे, ते अपवाद समजीने चडावे छे. कारण के जो ते न चडाये तो समूलगो फूलनो हार चडी शके नहीं माटे जोग बने त्यां सुनी गुंलां पुप्प चडावां एज श्रेय छे. प्रभु भक्ति विधिपूर्वक करतां कदापि अल्पाहंता थाय ते उपर आवश्यक कूत्रा - नुं दृष्टांत श्रच्युं छे. कृबो खोदतां कष्ट पडे पण प्रांते मुक्तिसुखनी प्राप्ति थाय. माटे श्रायकने अष्टधकारी पूजा करवानुं महानिशिथ्य सूत्र - मां पण कयुं छे..
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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