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________________ (२७१ ) +- आ यंत्रमा जे शूलयोगे मृगशीर्ष नक्षत्र मूक्यु के तेमज परिघयोगे मघा, वैधृते चित्रा, व्याघाते पुनर्वसु, वने पुष्य, विषकुंभे अश्विनी, अतिगंडे अनुराधा, गंजे मूल, व्यतिपाते अश्लेषा ए प्रमाणे जेटलामो योग होय तेटलामुं नक्षत्र मूकवू. आ मुजबना दोष तजीने प्रतिष्टा दीक्षानां मुहूर्त्तनां नक्षत्र लेवां. दीक्षानां नक्षत्र लमशुद्धि प्रमाणे लेवां. उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, हस्त, अनुराधा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, पुष्य, पुनर्वसु, रेवती, मूल, अश्विनी, श्रवण, स्वाती ए नक्षत्रोए दीक्षा आपवी. गुरुने चंद्र बल जोवू. ने शिष्यने चंद्रबल गुरुबल रविबल जे प्रतिष्ठा करावनारने जोवाने कयु छे तेम
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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