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________________ अजवालेला वापरबां. सारा द्रव्य होय तो मन प्रसन्न थाय, ने लाभ पण थाय अने तेम न होय त्यारे दूषण पण लागे. ए अधिकार श्री. द्धविधिमां छे. प्रश्नः-१५१ देरासरमा जालां विगैरेनी आशातना होय ते न टाले ने पूजा करे तो ते केम ? उत्तर:-देरासरमां गया के प्रथम आशातना टालवी जोइए. पहेली निसीही कह्या पछी एज काम करवानुं छे, माटे जालां विगरे जे जे आशातना होय, ते पहेली वर्जवी जोइए. देरानी आशातना टालवामां एम विचारे जे आ काम तो नोकरोतुं छे. ए नबला परिणाममुं कारण छे. पोताने त्यां नोकरो होय तो ते नोकरो पासे एवां काम करावे, ने ते न होय तो पोते आशातना दूर करे. आपणा घरमां कंइक अनिष्ट वस्तु पडी होय तो ते तरत काढी नांखीए छीए. तेमज देरासरमा नहि के. रीए तो प्रभु उपर प्रेम, घर जेबो नहि रह्यो, एज मोटुं दूपण छे माटे पहेली आशातना टाली पूजा करत्री. आशातना टाल्या विना पूजा क. रवी ते पूजा नहीं कर्या जेवी जाणवी. प्रश्नः-१५२ प्रभुने पूजा करवानी जगोए चांदीनां वा सोनानां चकतां चोडे छे ते व्याजबी छ के केम ? उत्तरः-प्रभुजीने सोना रुपानां चकतां चोडवानी तथा आंगला उपर पंजा चोडवानी रीत बहु सारी छे. कारण जे भाविक श्रावको केसर सा. री पेठे चडावे छे तेथी ज्यां चोडेलां नथी होता, ते बिंबना अंगमां खा. डां पडी गयेला नजरे जोइए छीए, अने जो ए चकतां चोडेलां होय तो केसर.अंगने लागतुं नथी, तेथी प्रभुन अंग खवातुं नथी ते मोटो लाभ छे अने जो न चोड्यां होय तो अंग खवाइ जाय तो ते आशातना लागे. ए मोटुं दूषण छे. वली थोडी समजवाला पूजा करनारने अंगोनी खबर नथी, तेने पण पूजा करवानां नव अंग सहजे समजाइ जाय ए पण फायदो छे. मुख्यपणे तो अंगमा खाडा न पड़े एज लाभ विचारी च
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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