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________________ ( १० ) मेथी चूकाय छे. सर्व वस्तुनी प्राप्ति धर्मथी ज थाय छे. धर्म चुक्या तो त्रणे वर्ग हाथमांथी गया समजत्रा, माटे दिवसमां त्रणे वर्ग साधवानो बखत बांधी राखत्रो; जेथी द्रव्य पेदा करवामां तेम ज संसारोचित कार्य करवामां त्रिन न आवे, जगत्मा निंदा न थाय अने धर्मसाधन रूडी रीते थाय एम ववु. २० मुनिराज महाराजनुं दान देवा रूप श्रातिथ्य विनय पूर्वक करमुं; दुःखी जनने अनुकंपादान देवं; मुनिनी सेवा भक्ति करवामां कुशल रहेतुं अने अहंकार रहितपणे दान देवु. २१ जिनमतने विषे सन्मान पूर्वक राग धरवो. खोटो हठ - कदाग्रह करवो नहीं. २२ गुणीजननो पक्ष करवो. तेमनी साथै सौजन्यता अने दाक्षिण्यता वापरवी. जे जे सुकार्य करवाना होय, ते ते वानरनी पेठे चपलताथी नहीं पण स्थिरताथी करवां निरंतर नियभाषित थं. कोइने दुःख लागे तेवुं बोलवु नहीं. पोताना तेमज पारकाना आत्माने उपकार करवानी बुद्धि राखवी; गुणी पुरुषनी, अनुयाइए वर्त्त. 1 २३ जे देशमां जवानी शास्त्रकार श्राज्ञा न श्रापता होय, अथवा राजानी मना. होय, ते देशमा उद्धताइ करी जवुं नहीं; तेम ज जे काले जे कार्य..करवानी आज्ञा न होय, ते काले ते कार्य कर नहीं. जेम के उष्णकालमा खेती करे तो थाय नहीं. चोमासामां शीत पदार्थ खावाथी पत्रे नहीं अने समुद्र पर्यटन करवाथी नुकशान थाय. यवनना मुलक - मां जवाथी अभक्ष्य वस्तु जबराइथी खवरावे अने जबराइथी धर्म 1 भ्रष्ट करे, तेवा देशमा जनुं नहीं. वली पोतानुं बल तपासी काम करवु; कारण के शक्ति उपरांत कार्य करवाथी धननी तेम ज तननी हानी थवानो संभव छे. A. २४ व्रत विषे स्थिर चित्तवाला अने ज्ञाने करी सावधान एवा पुरुबनी पूजा करवी. आत्महितार्थे तेमनी पासेश्री ज्ञान संपादन करबुं अने
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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