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________________ .सूर्यनो तडको देखाय त्यां सुधीमां तो नोकारशीनो काल थतोज नथी, त्यारे सूर्य उदयथी ज बे घडी रही, वली शेनप्रश्नमा पाने ५६ मे प्रश्न ९१ .मुं छे त्यां पण सूर्योदयथी बे घडी कही छे. ते उपर शेनप्रश्नमा योग शास्त्रनी साक्षी आपी छे. वली तेज प्रमाणे प्रवचनसारोद्धारनी टीकामां तथा पंचाशकनी टीकामां तथा श्राइविधिमां पण सूर्योदयथी बे घडीए नवकारसी थाय एम अर्थ जणाय छे. माटे नवकारशी करीने वहेलं. दातण करवू ते योग्य नथी. प्रश्नः-१२५ प्रभुने वस्त्र पहेराववानो अधिकार शास्त्रमा आवे छे ते. पहेरावता नथी तेनुं शुं कारण ? उत्तरः-शेनप्रश्नमा ए बाबतनुं प्रश्न २४ पाने १७ मे छे तेमां कडं के जे जिनबिंबने वस्त्र पहेरावां कह्यां छे. परंतु प्रधान वस्त्र ांगी प्रमुखमां आभरणनी पेठे उचित कवू योग्य छे, पण मस्तक उपर मूकवू ते योग्य नथी. ा मुजब खुलासो छे. एथी समजाय छे के केटलाएक वर्ष थयां प्रवृत्ति बंध थइ गइ छे; पण आंगी प्रमुख नां वपराय छे. वली शा.. स्त्रमा कोइ आचार्य बंध कर्यों एवो अधिकार जणातो नथी. प्रश्न:-१२६ देवताने अवधिज्ञान क्यां सुधीन होय ? उत्तरः-सुधर्म देवलोक तथा इशान देवलोकना देवताने नीचुं पहेली रत्नप्रभा नरक सुधी होय. सनत्कुमार ने माहेंद्रना देवताने बीजी शक प्रभा नरक सुधी होय. ब्रह्म ने लांतकना देवताने नीचुं त्रीजी वालुप्रभा नरक सुधी होय. शुक्र ने सहस्रार देवलोकने नीचुं चोथी पंकप्रभा नरक सुधी होय. आणत ने प्राणत ए बेना देवताने पांचमी धूमप्रभा सुधीन ज्ञान होय. आरण ने अच्युत देवलोकना देवताने छठी तमप्रभा नरक सुत्री होय, तथा पहेलेथी छठा अवेयकना देवता पण धूमप्रभा सुधी देखे, पण ते बारमा देवलोकना देवता करतां विशुद्ध विशुद्ध देखे. सातमा आठमा ने नवमा अवेयकना देवता सातमी तमतमा नरक सुधी देखे. अनुत्तर विमानना देवता भिन्न चौदराजलोक देखे. एटले चौदराज लो--
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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