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________________ (१७१) फल थया, बने.जणा दुःखी थता पोताने नगरे आव्या. पछी ज्ञानी गुरु मल्या तेमने वंदन नमस्कार करी पोताना पूर्वला भव पूछे छे. ते ज्ञानी महाराज कहे छे, चंद्रपुर नगरने विष जिनदत्त अने जिनदास नामे शेठ परम अरिहंतना भक्त छे. एकदा सर्वे श्रावक मली घणुं ज्ञान द्रव्य तथा घj साधारणद्रव्य बन्ने जणने एकेक द्रव्य रखवाल करवाने आप्यु. बन्ने जण भली रीते रक्षा करे छे. हवे जिनदासे पोताने सारु.पोथी पुस्तक लखाव्यु ने पोतानी पासे बीजा द्रव्यनो अभाव छे तेथी विचार्य जे मारी पोथी लखावी छे -ते पण ज्ञान- ठेकाणुं छे. एम चिंतवी ज्ञानद्रव्यमाथी बार दाम लेखने आप्या. हवे जिनदासे साधारण द्रव्यमाथी पोताने घेर घणा प्रयोजनना कार्यने वास्ते अवर द्रव्यना अभावथी पोताना काममां वापर्या.. तेवार बन्ने जण मरीने पहेली नरके गया. नरकमाथी नीकली सर्प थया, साथी मरी बीजी नरके गया. सां नीकली प्रपंखी थया. त्यांथी मरी त्रीनी नरके गया.. एम एक बे भवने आंतरे साते नरके गया. एकेंद्री, बेरेंद्री, तेरेंद्री, चौरेंद्री, पंचेंद्री, तिर्यंचना बार बार हजार भव करी वारंवार दुःख भोगवी घणां कर्म क्षीण थये ते दुष्ट कर्मथी ऊपरना बन्ने जणने बार हजार भव, बार दामना भोगववाथी दुःख भोगव्यां, वली आ भवमां बारकोड सोनैआ गुमाव्या. वारेवारे घणा उपायथी धन उपायु ते पण नाश पाम्यु. पराया घरनी चाकरी करी दुःख भोगव्यां. कर्मसारना जीवे ज्ञानद्रव्यनुं भक्षण कर्यु तेथी घणो निबुद्धि थयो. बुद्धिभ्रष्ट थयो. एम घणां दुःख पाम्यो. पुण्यसारे साधारण द्रव्यना भक्षणथी वारंवार धन गुमाव्यु. श्रा रीतनुं मुनी महाराज पासे पाछला भवनुं चरित्र सांभली बन्ने भाइओए श्रावक धर्म अंगीकार कर्यो. ने प्रायश्चितना बदलामां बार हजार दाम ज्ञानद्रव्यमां तथा साधारणद्रव्यमा आपवा एम नियम लीघो. तेवार पछी वन्ने जणाए पूर्व कर्म क्षय थवाथी घणुं धन उपार्जन कयु, ज्ञान द्रव्य तथा साधारण द्रव्य हजा गुणा पाप्या ने बार बार करोड सौनआना धणी थया ने भला श्रावक
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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