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________________ बानी बुद्धि थायः जेवी जेवी विशुभएकांत बेसी पोत (१२५) लवानी बुद्धि थाय. परभाव रमण दूर थाय. पोताना आत्मानो गुण प्रगट करवानो उद्यम थाय. जेवी जेवी विशुध्धि थाय तेवो तेवो उद्यम करे, अतिशय विशुध्धिवाला डुंगरनां गुफाओ छे त्यां एकांते बेसी पोताना आ. मानी जडनी वहेचण करे, भेदज्ञान करे. धर्मध्यान शुक्लध्यानादिक ध्याय, ने म्होटो लाभ उपार्जे. बीजं पण बुधि शुध्ध थवानुं कारण छे जे उत्तम पुरुषना शरीरमा जे पुद्गल मल्या छे ते घणा उत्तम मल्या छे. जे. मके क्षपकश्रेणि मांडवी होय तो वज्र ऋषभनाराच संघयण जोइए.ए संघयण विना उत्तम ध्यान करी शके नहि. त्यारे पुद्गलनी पण सहाय्यता जोइए छे. तथा उत्तम पुरुष जेनी मुक्ति थवानी छे, एवा पुरुपना शरी: रमा जे ध्यानमा वृध्धि थाय, एवा पुद्गल मल्या छे ते पुरुष तीर्थ स्नानमा निर्वाण पाम्या छे तेथी त्यां ते पुदगल विखस्या छे तेथी त्यां सारा पुद्गलनो भाग घणो छे. त्यार पछी वली घणो काल थइ गयो छे, तोप. ण बधा पुद्गल कंइ जता रहेता नथी. तेथी तीर्य स्थान उपर भाग्यशाली जीवने सार पुद्गलनो स्पर्श थाय छे, तो तेनी बुध्धि शुध्ध थाय छे ते मां जे पुरुषने वधारे सारा पुद्गलनो स्पर्श थाय छे, तो वधारे बुधि शुध्ध थाय छे. कोइक भाष्यहीनने सारानी रपर्शना ज नथी थती, ने नबला स्पर्शे छे तो तेना कर्मनी गति छे; पण मुख्यपणु सारा पुद्गलनु छ, तेथी अनुक्रमे वधारे लाभ थवान कारण ज यात्रा छे.. पोताना गाममा जिनबींब होय पण आ कारणो बघां नाहि मले, भाटे शास्त्रकारे यात्रा जवानो लाभ दर्शाव्यो छे, माटे यात्रा जइ आवां साधनो करवां तेथी म्हो. टो लाम थाय. ६८ प्रश्नः-समायिक, पौषध, पडिकमणामां आभूषण राखे के नहि ? - उत्तरः-पंचाशकजीमां समायिक व्रतनो अधिकार पाने १८ मे छे. त्यां आभूषण उतारवां कह्यां तेम पौषधनो अधिकार पाने १९-२० मे छे त्यां पण आभूपण उतारवां कयां छे. क्ली भगवतीजीमां छापेल प्रतमा पाना ९७७ मे शंखजीनो अधिकार छे, त्यां पण आभूषण उतारी पौषध लीधा
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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