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________________ देशी राज्य [ २५ ८ नारीका अधिकार च-विदेश-यात्रा या अन्य किसी यात्रा का सभी विषय मूल योजना की तरह । खर्च भी राज्य से मिलेगा पर इसकी स्वीकृति धारासभा ९ देशी राज्य से लेनी होगी और बजट भी धारासभा से पास यह एक नया विषय है जो मूल योजना मे नही कराना होगा। है । वास्तव मे इनकी आवश्यकता नहीं है परन्तु छ--विवाह शादी आदि विशेष प्रसगो के भारतवर्ष मे ये है और इस परिस्थिति में है कि लिये भी राज्य की तरफ से खर्च मिलेगा पर उसकी इन्हे सहसा तोडा नहीं जा सकता । ऐसी हालत में स्वीकृति धारा सभा से लेनी होगी। अगर इनके विपय मे निश्चित और दृढ विचार ज-भोजन खर्च, वस खर्च, खानगी यात्राएँ, प्रगट न किये जाय तो ये गकाकुल रहेगे और दान पुण्य, तथा और भी पाकिट खर्च के लिये कभी भी प्रजा के सहयोगी न बनेगे । देशी राज्यो राजाओ को निम्न लिखित भेट राज्य की ओर से को ईमानदारी के साथ दृढ आश्वासन देने की मिलेगी। जरूरत है और इनका स्थान निर्दिष्ट कर देना भी राजा के लिये १०००) मासिक ज़रूरी है। रानी के लिये ५००) मासिक क-राजाओ का सन्मान वही रहेगा जो आज है। राजकुमार और राजकुमारियो को २५०) मासिक ख--राजाओ को राज्यो मे उत्तरदायित्वपूर्ण राजा के सगे भाई ) शासन स्थापित करना होगा । राजाओ का स्थान अविवाहित बहिन और । २५०) सुरक्षित है । पर जैसे इग्लेड के राजा के अधिकार राजमाता प्रत्येक को । सीमित है असली और अतिम अधिकार पार्लमेट झ--राजा, रानी, राजा के भाई, बालिग को है उसी प्रकार राजाओं के अविकार सीमित रहेगे राजकुमार इनको राज्य की तरफ से कुछ न कुछ असली अधिकार उस राज्य की व्यवस्थापक सभाको और अतिम अविकार भारत सरकार को रहेगे। काम सौपा जायगा । वह इन्हे करना होगा । उपग--देशी राज्यो के अलग सिक्के पोष्ट और र्युक्त भेट पेन्शन के तौर पर न होगी किन्तु फौजदारी कानून न होगे । भारत सरकार के सिक्के एक तरह का वह वेतन या आनरेरियम होगा । पाट और फौजदारी कानन ही लागू होगे । दीवानी ब---आज जो रानाओ के पास खानगी कानून भी भारत सरकार से पास करा लेना पडेगे। जायदाद है उसमे से दस लाख रुपये तक की घ--वर्तमान मे उनके रहने के लिये जो महल जायदाद उनके पास रहेगी वाकी राज्य की है वे उन्हीं के पास रहेगे । हा, जो उनके किसी समझा जायगा काम मे नहीं आते वे राज्य के काम मे लेलिये ट-देशी राज्यो की तीन श्रेणियाँ रहेगी। जांवगे । राज महलो की देखरेख सफाई आदि के प्रथम श्रेणी में हैदराबाद मैसूर गवालियर वडौढा लिये नौकर तथा सामान राज्य की तरफ से मिलेगा। काश्मीर इन्दोर उदयपुर जयपुर आदि रियासते --बोडीगार्ड, मोटर आदि का खर्च भी रहेगी । राजकुटुग्यो के लिये ऊपर जिस भेटका र.ज्य की तरफ से मिलेगा। वर्णन किया गया है वह प्रथम श्रेणी की रियासतो
SR No.010828
Book TitleNirtivad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatya Sandesh Karyalay
Publication Year
Total Pages66
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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