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________________ ८. जंबुहीवे..णं दीवे नवजोयणिया मच्छा पविसिसु वा पविसंति वा पविसिस्संति वा। ८. जम्बुद्वीप में नौ योजन के मत्स्य प्रवेश करते थे, प्रवेश करते हैं और प्रवेश करेंगे। • • .... ६. विजयस्स णं दारस्स एगमेगाए बाहाए नव-नव भोमा पण्णत्ता । १०. वाणमंतराणं देवाणं सभात्रो सुधम्माओ नव जोयणई उड्ढं उच्चत्तणं पण्णत्तायो। ६. विजय-द्वार की एक-एक बाहु पर, नौ-नौ भौम भवन प्रज्ञप्त हैं। १०. वान-व्यन्तर देवों की सुवर्मा सभाएँ ऊँचाई की दृष्टि से नो योजन ऊँची प्रज्ञप्त हैं। ११. सणावरणिज्जस्स गं कम्मस्स नव उत्तरपगडीनो पण्णत्तानो, तं जहानिद्दा पयला निहानिद्दा पयलापयला थोणगिद्धी चक्खुदंसणावरणे अचवखुदंसणावरणे प्रोहिदसणावरणे केवलदसणावरणे । ११. दर्शनावरणीय कर्म की उत्तर प्रकृ- .: तियां नौ प्रज्ञप्त हैं। जैसे किनिंद्रा/सामान्य नींद, प्रचला/शय्यारहित निद्रा, निद्रानिद्रा/प्रगाढ़ निद्रा, प्रचला-प्रचना/ शय्यारहित प्रगाढ़ 'निद्रा, स्त्यानद्धि/कार्य-समापनक, निद्रा, चक्षु-दर्शनावरण/नेत्र-यावरण, 'प्रचक्षु-दर्शनावरण / अन्य · इन्द्रिय-२ आवरण, अवधि-दर्शनावरण/मूर्तदर्शन-आवरण और केवल-दर्शनावरण/सर्व दर्शन-आवरण। १२. इमीसे णं रयणप्पहाए पुढवीए प्रत्येगइयाणं नेरइयाणं नव पलिग्रोवमाई ठिई पण्णत्ता। १२. इस रत्नभा पृथ्वी पर कुछेक नैरयिकों की नौ पल्योपम-स्थिति प्रज्ञप्त है। ......... . .. १३. चउत्योए पुढवीए अत्थेगइयाणं . १३. चौथी पृथिवी [पंकप्रभा और कुछेक'.." नेरइयाणं नव सागरोवमाई ठिई . नरयिकों की नौ. सागरोपम-स्थिति . पण्णत्ता। १४. असुरकुमाराणं देवाणं प्रत्येगइयाणं नव पलिनोवमाई ठिई पण्णत्ता। १४. कुछेक असुरकुमार देवों की नौ पल्योपम-स्थिति प्रज्ञप्त है। १५. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसुः प्रत्येगइ. १५: सौधर्म ईशान कल्प में कुछेक देवों की याणं देवाणं नव पलिनोवमाई नौ पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त हैं। ठिई पण्णत्ता। . वाय-सुत्त :
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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