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________________ अट्टमो समवाश्रो १. श्रट्ट मयद्वारा पण्णत्ता, तं जहाजाति मए कुलमए बलमए रूवल ए तवमए सुयमए लाभमए इस्सरियमए । २. अटु पवयणमायाम्रो पण्णत्ताश्रो, तं जहा -- इरियासमिई भासासमिई एसणासमिई श्रायारण - भंड-मत्त-निवखेवरणास मई उच्चारपासवरण-खेलजल्ल - सिंघाण पारिट्ठावरियासमिई मणगुत्ती वइगुत्ती कायगुती । ३. वाणमंतराणं देवारणं चेइयरुक्खा श्रटु जोपरगाई उड्ढं उच्चत्तरगं पण्णत्ता । ४. जंबू णं सुदंसणा श्रटु जोगाई उड्ढं उच्चत्तेगं पण्णत्ता । ५. कूडसामली णं गरुलावासे श्रट्ठ जोयणाई उड् उच्चतेणं पण्णत्ते । ६. जंबुद्दीवस्स णं जगई श्रट्ट जोयगाई उड्ढं उच्चतेगं पण्णत्ता । समवाय-सुत्तं २७ आठवां समवाय १. मदस्थान आठ प्रज्ञप्त हैं । जैसे कि-जाति-मद, वल-मद, रूप-मद, तपोमद, श्रुत-मद, लाभ-मद, ऐश्वर्यमद । २. प्रवचन-माता आठ प्रज्ञप्त जैसे कि ई-समिति, भाषा समिति, एपरणासमिति, प्रदान - भांड मात्र निक्षेपरणसमिति, उच्चार- प्रस्रवरण- खेल - जल्लसिंघारण - परिष्ठापना समिति, मनोगुप्ति, वचन- गुप्ति, काय-गुप्ति । ३. वान-व्यन्तर देवों के चैत्यवृक्ष ऊँचाई की दृष्टि से आठ योजन ऊँचे प्रज्ञप्त है । ४. जम्बु सुदर्शन वृक्ष ऊंचाई की दृष्टि से माठ योजन ऊँचा प्रज्ञप्त है । 1 ५. गरुड़ - देव का आवासभूत पार्थिव कूट - शाल्मली वृक्ष ऊँचाई की दृष्टि से ग्राठ योजन ऊँचा प्रज्ञप्त है । ६. जम्बुद्वीप की की दृष्टि से प्रज्ञप्त है । जगती / पाली ऊँचाई ग्राठ योजन ऊंची समवाय-5
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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