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________________ ६. धन्विहे प्रत्युग्गहे पण्णते, तं जहासोइंदिय-प्रत्युग्गहे चखिदियअत्युग्गहे धारिणदिय-प्रत्युग्गहे जिभिदिय प्रत्युग्नहे फातिदियअत्युगहे नोइदिय-प्रत्यग्गहे । ६. अर्यावग्रह अर्थ-चौव छह प्रकार का प्रनप्त है । जैसे किश्रोत्रेन्द्रिय-नावग्रह, चक्षुरिन्द्रियअर्यावाह, घ्राणेन्द्रिय-अर्यावग्रह, जिह्वन्द्रिय-अविग्रह, स्पर्शनेन्द्रियअर्यावग्रह, नोइन्द्रिय/मन प्रविग्रह। ७. कत्तियानत्वत्त छारे पण्णते। .कृत्तिका नक्षत्र के छह तारे प्राप्त ८. अतिलेसानक्तत्ते छतारे पश्यते। ८. पाश्लेषा नक्षत्र के छह तारे प्रजप्त ६. इमीते में रयणप्पहाए पुइवीए अत्येगइयाणं नेरइया छ पतिप्रोवमाई लिई पण्णत्ता। ६. इस रलपना पृथिवी पर कुचक नैरपिकों की छह पत्योपम स्थिति १०. तच्चाए नं पुनवीए प्रत्येगइयाणं नेरइया सागरोवमाई ठिई पपत्ता । १०.तीसरी पृथिवी [वालुकाप्रमा] पर कुछेक नरयिकों की यह नागरोपम स्थिति प्राप्त है। ११. असुरकुमाराणं देवाणं प्रत्ये- गइयाणं इ पलिग्रोवमाई डिई पम्पत्ता। ११. कुछेक असुरकुमार देवों की छह पल्योपन स्थिति प्राप्त है। १२. नोहम्मीसाणेतु कप्पेतु प्रत्यगइ- या देवा छ पलिप्रोवमाई डिई पयत्ता। १. सौधर्म-ईशान कल्म में कुछेक देवों की हह पत्योपन स्थिति प्रजप्त है। १६. सगंजुनार-माहिदेतु कप्पेतु प्रत्ये- गइयान देवाणं व सागरोवमाई ईि पपत्ता। १३. सनत्कुमार-माहन कत्ल में कुछेक देवों की छह सागरोपन स्थिति प्रनप्त है। ननवाय-नुत्तं सनवाय-६
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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