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________________ ११६. जम्बूद्वीप द्वीप के भरतवर्ष में आगामी उत्मपिणी में बारह चक्रवर्ती होंगे, जैसे कि१. भरत, २. दीर्घदन्त, ३. गूढदन्त, ४. शुद्धदन्त, ५. श्रीपुत्र, ६. श्रीभूति, ७. श्रीसोम, ८. पद्म, ६. महापद्म, १०. विमलवाहन, ११. विपुलवाहन, १२. रिष्ट । ११६. जंबुद्दीवे गं दीवे भरहे वासे प्रागमेस्साए उस्सप्पिणीए वारस चक्कवट्टी भविस्संति, तं जहा१. भरहे य दोहदंते, गूढदंते य सुद्धदंते य । सिरिउत्ते सिरिभूई, सिरिसोमे य सत्तमे ॥ २. पउमे य महापउमे, विमलवाहणे विपुलवाहणे चेव । रिठे बारसमे वुत्ते, आगमेसा भरहाहिवा ॥ ११७. एतेसि गं बारसण्हं चक्कवट्टीणं वारस पियरो भविस्सति, बारस मायरो भविस्सति, बारस इत्थीरयणा भविस्संति । ११७. इन बारह चक्रवतियों के बारह, पिता, बारह माताएं और बारह स्त्रीरत्न होंगे। ११८. जंबुद्दीवे गं दीवे मरहे वासे ११८, जम्बूद्वीप द्वीप के भरतवर्ष में आगमिस्साए उस्सप्पिणीए नव आगामी उत्सर्पिणी में नौ बलदेवबलदेव-वासुदेवपियरो भवि- वासुदेवों के नौ पिता, नौ वासुदेवों संति नव-वासुदेव-मायरो की नौ माताएँ, नौ वलदेवों की भविस्संति, नव बलदेव-मायरो नौ माताएँ और नौ दशारमण्डल भविस्संति, नव दसारमंडला होंगे, जैसे किभविस्संति, तं जहाउत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा उत्तमपुरुष, मध्यमपुरुप, प्रधानपहाणपुरिसा प्रोयंसी तेयंसी एवं पुरुष, ओजस्वी, तेजस्वी, यावत् सो चेव धण्णो भणियन्वी नील-पीत वस्त्र वाले दो-दो राम जाव नीलग-पीतग-वसणा दुवे- और केशव भाई होंगे, जैसे किदुवे राम-केसवा भायरो भविस्संति, तं जहा१. नंदे य नंदमित्ते, नंद, नंदमित्र, दीर्घबाहु, महावाहु, दोहबाहू तहा महाबाहू । अतिबल, महावल, बलभद्र, द्विपृष्ठ समवाय-सुतं २६६ समवाय-प्रकीर्ण
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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