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________________ के पूर्वभव के नौ-नौ नाम थे, जैसे कि१.विश्वभूति, २. पर्वतक, ३. धनदत्त, ४. समुद्रदत्त, ५. शैवाल, ६. प्रियमित्र, ७. ललितमित्र, ८. पुनर्वसु, ६. गंगदत्त । ये नाम वासुदेवों के पूर्वभव के थे। बलदेवों के नाम यथाक्रम कहूँगा--- १. विषनन्दी, २. सुबन्धु, ३. सागरदत्त, ४.अशोक, ५. ललित, ६. वाराह, ७. धर्मसेन, ८. अपराजित, ६. राजललित। १०५. इन नौ वासुदेवों के पूर्वभविक नौ धर्माचार्य थे, जैसे कि देवाणं पुत्वमविया नव-नव नामधेज्जा होत्या, तं जहा१. विस्सभूई पन्वयए, घणरत्त समुद्ददत्त सेवाले। पियमित्त ललियमिते, पुणन्वसू गंगदत्ते य॥ २. एयाई नामाई, पुत्वभवे प्रासि वासुदेवाणं। एतो वलदेवाणं, जहक्कम कित्तइस्सामि ॥ ३. विसनंदी सुबंधू य, सागरदत्ते असोगललिए य। वाराह धम्मसेणे, अपराइय रायललिए य ।। १०५. एतेसि णं नवण्हं वासुदेवाणं पुटवभविया नव धम्मायरिया होत्या, तं जहा--- १. संभूत सुभद्दे सुदंसरणे, य सेयंसे कण्हं गंगदत्ते य । सागरसमुद्दनामे, दुमसेणे य गवमए । २. एते धम्मायरिया, कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं। पुत्वभवे आसिहं, जत्थ निदाणाई कासीय ॥ १०६. एतेसि णं नवण्हं वासुदेवाणं पुस्वभवे नव निदाणभूमिनो होत्या, तं जहा१. महरा य करणगवत्यू, सापत्यी पोयणं च ___रायगिहं। ममवाय मुतं १. संभूत, २. सुभद्र, ३. सुदर्शन, ४. श्रेयांस, ५. कृष्ण, ६. गंगदत्त, ७. सागर, ८. समुद्र, ६. द्रुमसेन । ये नी धर्माचार्य कीर्तिपुरम्प वासुदेवों के थे। इन [वासुदेवों] ने पूर्वभव में निदान किया। १०६. इन नौ वासुदेवों के पूर्वभव में नी निदान-भूमियां थीं, जैसे कि १. मथुरा, २. कनकवरतु, ३. थावरती, ४. पोतनपुर, ५. राजगृह. ६. काकन्दी, ७. कौशांबी, २६४ समवाय-प्रकीर्ण
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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