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________________ तइश्रो समवाश्रो १. तो दंडा पण्णत्ता, तं जहा--- मणदंडे व दंडे कायदंडे । २. तो गुत्ती पण्णत्तात्र, तं जहा - मणगुती वइगुती कायगुत्ती । ३. तो सल्ला पण्णत्ता, तं जहामायासल्ले णं नियाणसल्ले णं मिच्छादंसणसल्ले णं । ४. तो गारवा पण्णत्ता, तं जहा--- इड्डीगारवे रसगारवे सायागारवे । ५. तो विराहणा पण्णत्ताओ, तं जहा - नाणविराहरणा दंसणविराहरणा चरितविराहरणा । ६. मिगसिरनवखत्ते तितारे पण्णत्ते । पुस्सनक्खत्ते तितारे पण्णत्ते । ८. जेट्ठानवखत्ते तितारे पण्णत्ते । E. प्रभोइनक्खत्ते तितारे पण्णत्ते । १०. सवरगनक्वत्ते तितारे पण्णत्ते । समवाय-सुतं ७. ११ तीसरा समवाय १ दण्ड तीन प्रज्ञप्त है । जैसे किमन-दण्ड, वचन - दण्ड, काय-दण्ड | २. गुप्ति तीन प्रज्ञप्त है । जैसे किमन-गुप्ति, वचन- गुप्ति, काय गुप्ति । ३. शल्य / चुभन तीन प्रज्ञप्त हैं । जैसे कि - माया- शल्य, निदान - शल्य, मिध्यादर्शन - शल्य | ४ गौरव / आदर्श तीन प्रज्ञप्त हैं । जैसे कि- ऋद्धि-गौरव, रस- गौरव, सातागौरव । ५. विराधना / अवहेलना तीन प्रज्ञप्त है । जैसे कि --- ज्ञान-विराधना, चारित्र - विराधना | दर्शन - विराधना, ६. मृगशिर नक्षत्र के तीन तारे प्रज्ञप्त हैं । ७. पुण्य-नक्षत्र के तीन तारे प्रज्ञप्त है । ८. ज्येष्ठा नक्षत्र के तीन तारे प्रज्ञप्त है। ६. अभिजित नक्षत्र के तीन तारे प्रज्ञप्त हैं । १०. श्रवण नक्षत्र के तीन तारे प्रज्ञप्त हैं । समवाय-३
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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