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________________ उप्पायपुवं, अग्गेणीयं, वोरियं, अत्यिणस्थिप्पवायं, नाणप्पवायं, सच्चप्पवायं, आयप्पवायं, कम्मप्पवायं, पच्चक्खाणं, विज्जाणुप्पवाय, अवंझ, पाणाउं, किरियाविसालं, लोगबिदुसारं । २६. उप्पायपुवस्स णं दस वत्यू, चत्तारि चूलियावत्यू पण्णत्ता । १. उत्पादपूर्व, २. अग्रेणीय, ३. वीर्य, ४. अस्ति-नास्तिप्रवाद, ५. ज्ञानप्रवाद, ६. सत्यप्रवाद, ७. आत्मप्रवाद, ८. कर्मप्रवाद, ६. प्रत्याख्यान, १०. विद्यानुप्रवाद, ११. अवंध्य, १२. प्राणायु, १३. क्रियाविशाल, १४. लोकबिन्दुसार। २६. उत्पाद-पूर्व के दस 'वस्तु एवं चार ___ चूलिका-वस्तु प्रज्ञप्त हैं। २७. अग्गेणियस्स णं पुव्वस्त चोइस वत्यू, बारस चूलियावत्यू पण्णत्ता। २७. अनेणीय-पूर्व के चौदह वस्तु एवं वारह चूलिका-वस्तु प्रजप्त हैं। २८. बोरियस्स रां पुत्वस्स अट्ठ वत्यू, अट्ठ चूलियावत्यू पण्णत्ता। २८. वीर्य-पूर्व के आठ वस्तु एवं पाठ चूलिका-वस्तु प्रज्ञप्त हैं । २६. अत्थिणत्थिप्पवायरस णं पुवस्स अट्ठारस वत्यू, दस चूलियावत्यू २६. अस्ति-नास्तिप्रवाद पूर्व के अट्ठारह वस्तु एवं दस चूलिका-वस्तु प्रज्ञप्त पण्णत्ता। ३०. नारणप्पवायस्स णं पुस्वस्स वारस वत्यू पण्णत्ता। ३०. ज्ञानप्रवाद-पूर्व के बारह वस्तु प्रज्ञप्त हैं। ३१. मत्यप्रवाद-पूर्व के दो वस्तु प्रज्ञप्त ३१. सच्चापवायरस णं पुन्वस दो वत्यू पण्णत्ता। ३२. पायप्पवायरस रणं पुवस्स सोलस वत्यू पण्णत्ता। ३२. प्रात्मप्रवाद-पूर्व के सोलह वस्तु प्राप्त हैं । ३३. कर्मप्रवाद-पूर्व के तीस वस्तु प्राप्त ३३. कम्मप्यवायरस जं पुवस्स तीसं वत्यू पष्णता। ३४. पच्चरखाणसणं पुथ्वस्त वीतं बत्य पणत्ता। ३४. प्रत्याभ्यान-पूर्व के बीस वस्तु प्राप्त है । ममयाय गुतं २५० समवाय-वादगांग
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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